Symmetric and Asymmetric Key Cryptography Explained in Hindi & English | समान और असमान कुंजी क्रिप्टोग्राफी (Complete Notes for Data Science & Information Security Students)


समान और असमान कुंजी क्रिप्टोग्राफी (Symmetric and Asymmetric Key Cryptography)

परिचय:

क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) का मुख्य उद्देश्य सूचना को सुरक्षित रखना है। इस सुरक्षा के लिए दो प्रमुख प्रकार की कुंजी आधारित प्रणालियाँ उपयोग की जाती हैं — समान कुंजी क्रिप्टोग्राफी (Symmetric Key Cryptography) और असमान कुंजी क्रिप्टोग्राफी (Asymmetric Key Cryptography)

दोनों का लक्ष्य एक ही होता है — डेटा की गोपनीयता, अखंडता और प्रमाणीकरण सुनिश्चित करना, लेकिन इनकी कार्यप्रणाली और सुरक्षा स्तर में महत्वपूर्ण अंतर होता है।

क्रिप्टोग्राफी में कुंजी (Key) का महत्व:

कुंजी वह गुप्त मान (Secret Value) है जिसका उपयोग एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन दोनों में किया जाता है। किसी भी क्रिप्टोग्राफिक सिस्टम की सुरक्षा सीधे उसकी कुंजी की गोपनीयता और लंबाई पर निर्भर करती है।

समान कुंजी क्रिप्टोग्राफी (Symmetric Key Cryptography):

इस प्रकार की क्रिप्टोग्राफी में एक ही कुंजी (Key) का उपयोग संदेश को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने के लिए किया जाता है। इसे Secret Key Cryptography भी कहा जाता है।

  • Encryption: Sender और Receiver दोनों एक ही कुंजी साझा करते हैं।
  • Decryption: Receiver उसी कुंजी से Cipher Text को Plain Text में बदलता है।

कार्यप्रणाली:

Plain Text → [Encryption + Key] → Cipher Text
Cipher Text → [Decryption + Same Key] → Plain Text

उदाहरण:

  • DES (Data Encryption Standard): 56-bit key आधारित ब्लॉक सिफर एल्गोरिद्म।
  • AES (Advanced Encryption Standard): 128, 192, और 256-bit keys के साथ आधुनिक एन्क्रिप्शन तकनीक।
  • Blowfish: Lightweight और तेज़ Symmetric एल्गोरिद्म।

लाभ:

  • तेज़ एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन।
  • कम कम्प्यूटेशनल लागत।
  • बड़े डेटा सेट के लिए उपयुक्त।

हानियाँ:

  • Key Distribution Problem – कुंजी को सुरक्षित रूप से साझा करना कठिन।
  • अगर Key लीक हो जाए तो पूरा सिस्टम असुरक्षित।

असमान कुंजी क्रिप्टोग्राफी (Asymmetric Key Cryptography):

इस प्रणाली में दो अलग-अलग कुंजियों का उपयोग किया जाता है — एक Public Key और दूसरी Private Key

Public Key सभी के लिए उपलब्ध होती है, जबकि Private Key केवल मालिक के पास रहती है। इसे Public Key Cryptography भी कहा जाता है।

कार्यप्रणाली:

Plain Text → [Encryption + Public Key] → Cipher Text
Cipher Text → [Decryption + Private Key] → Plain Text

मुख्य एल्गोरिद्म:

  • RSA (Rivest–Shamir–Adleman): सबसे प्रसिद्ध असमान कुंजी एल्गोरिद्म।
  • DSA (Digital Signature Algorithm): प्रमाणीकरण और अस्वीकरण न होने के लिए उपयोगी।
  • ECC (Elliptic Curve Cryptography): मोबाइल और IoT डिवाइसों के लिए हल्का और सुरक्षित।

लाभ:

  • Key Distribution की समस्या नहीं होती।
  • उच्च सुरक्षा स्तर।
  • डिजिटल हस्ताक्षर और प्रमाणीकरण में उपयोगी।

हानियाँ:

  • गणनात्मक रूप से जटिल और धीमा।
  • बड़े डेटा के लिए कम उपयुक्त।

समान और असमान कुंजी क्रिप्टोग्राफी के बीच तुलना:

मानदंडSymmetric Key CryptographyAsymmetric Key Cryptography
कुंजी की संख्याएक ही कुंजीदो कुंजियाँ (Public और Private)
स्पीडतेज़धीमी
सुरक्षाकमअधिक
उपयोगबड़े डेटा के लिएछोटे डेटा और प्रमाणीकरण के लिए
उदाहरणAES, DES, BlowfishRSA, ECC, DSA

वास्तविक जीवन अनुप्रयोग:

  • Symmetric Encryption: बैंकिंग सिस्टम, फाइल एन्क्रिप्शन, डिस्क सुरक्षा।
  • Asymmetric Encryption: SSL/TLS सर्टिफिकेट, डिजिटल सिग्नेचर, ईमेल एन्क्रिप्शन।
  • Hybrid Systems: आधुनिक सिस्टम में दोनों तकनीकों का संयोजन किया जाता है।

निष्कर्ष:

Symmetric और Asymmetric Cryptography दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। जहाँ Symmetric Key तेज़ और कुशल है, वहीं Asymmetric Key उच्च सुरक्षा प्रदान करती है। आधुनिक सिस्टम में दोनों को Hybrid Encryption के रूप में मिलाकर प्रयोग किया जाता है — जैसे कि SSL/TLS, जहां Public Key द्वारा Symmetric Key का आदान-प्रदान होता है और फिर डेटा Symmetric तरीके से एन्क्रिप्ट किया जाता है।

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