Steganography and Its Role in Cryptography Explained in Hindi & English | स्टेग्नोग्राफी और क्रिप्टोग्राफी में इसका महत्व (Complete Notes for Data Science & Information Security Students)


स्टेग्नोग्राफी और क्रिप्टोग्राफी में इसका महत्व (Steganography and Its Role in Cryptography)

परिचय:

क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) और सूचना सुरक्षा (Information Security) की दुनिया में, स्टेग्नोग्राफी (Steganography) एक ऐसी तकनीक है जो डेटा को “छिपाने” (Hiding) की प्रक्रिया पर आधारित है। जबकि क्रिप्टोग्राफी डेटा को एन्क्रिप्ट करके अपठनीय बनाती है, स्टेग्नोग्राफी डेटा को किसी अन्य मीडिया (जैसे इमेज, ऑडियो, या वीडियो) के अंदर छिपा देती है ताकि किसी को यह पता ही न चले कि डेटा मौजूद है।

“Steganography” शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों से बना है — “Steganos” (छिपा हुआ) और “Graphy” (लेखन)। अर्थात्, यह “Hidden Writing” की कला है।

स्टेग्नोग्राफी और क्रिप्टोग्राफी के बीच अंतर:

मानदंडक्रिप्टोग्राफीस्टेग्नोग्राफी
उद्देश्यडेटा को unreadable बनानाडेटा को अदृश्य बनाना
तकनीकEncryption AlgorithmsData Hiding Techniques
उदाहरणRSA, AES, DESImage/Audio में डेटा छिपाना
सुरक्षा स्तरडेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करता हैडेटा के अस्तित्व को छिपाता है

स्टेग्नोग्राफी का कार्य सिद्धांत:

स्टेग्नोग्राफी इस प्रकार काम करती है कि डेटा को एक मीडिया फाइल के अंदर इस तरह डाला जाता है कि फाइल के आकार या स्वरूप में कोई बड़ा परिवर्तन न दिखाई दे। उदाहरण के लिए, एक तस्वीर के हर पिक्सल के रंग मान में सूक्ष्म परिवर्तन करके डेटा के बिट्स को छिपाया जा सकता है।

कार्यप्रणाली (Process Flow):

Original File (Image/Audio/Video)
      ↓
Steganography Algorithm + Secret Data
      ↓
Stego File (Hidden Data Embedded)
      ↓
Extraction Algorithm + Key → Original Hidden Data

स्टेग्नोग्राफी की तकनीकें:

1. LSB (Least Significant Bit) Technique:

इस तकनीक में इमेज के प्रत्येक पिक्सल के सबसे कम महत्वपूर्ण बिट को बदलकर डेटा छिपाया जाता है।

  • उदाहरण: 8-bit RGB इमेज में हर कलर चैनल के अंतिम बिट में डेटा डाला जा सकता है।
  • फायदा: सरल और तेज़।
  • हानि: इमेज क्वालिटी में परिवर्तन हो सकता है।

2. DCT (Discrete Cosine Transform) Based Technique:

इस तकनीक में इमेज को फ्रीक्वेंसी डोमेन में ट्रांसफॉर्म करके डेटा छिपाया जाता है। JPEG जैसी फाइलों में यह पद्धति अधिक सामान्य है।

3. Audio Steganography:

डेटा को ऑडियो फाइलों (जैसे MP3, WAV) में छिपाने की तकनीक। उदाहरण के लिए, एक साउंड वेव के एम्प्लिट्यूड या फेज में छोटे परिवर्तन करके सूचना को छिपाया जा सकता है।

4. Video Steganography:

वीडियो फ्रेम्स में पिक्सल मानों को बदलकर या मोशन वेक्टर में परिवर्तन करके डेटा एम्बेड किया जाता है।

5. Text Steganography:

टेक्स्ट फाइलों में स्पेसिंग, सिंटैक्स, या अक्षर व्यवस्था बदलकर सूचना छिपाई जाती है।

स्टेग्नोग्राफी और क्रिप्टोग्राफी का संयोजन:

आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों में अक्सर Steganography और Cryptography दोनों का संयोजन किया जाता है। उदाहरण के लिए, पहले डेटा को एन्क्रिप्ट किया जाता है (Cryptography) और फिर उसे किसी मीडिया में छिपाया जाता है (Steganography)।

यह दोहरी सुरक्षा प्रदान करता है — डेटा यदि खोज भी लिया जाए, तो भी वह पढ़ा नहीं जा सकता।

वास्तविक जीवन अनुप्रयोग:

  • गोपनीय सरकारी और सैन्य संचार में।
  • डिजिटल वॉटरमार्किंग में कॉपीराइट सुरक्षा हेतु।
  • मीडिया में डेटा चोरी से बचाव के लिए।
  • सुरक्षित सूचना विनिमय के लिए।

लाभ:

  • डेटा के अस्तित्व को छिपाकर अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है।
  • डिजिटल वॉटरमार्किंग और डेटा प्रोटेक्शन के लिए उपयुक्त।
  • क्रिप्टोग्राफी के साथ मिलकर दोहरी सुरक्षा देता है।

सीमाएँ:

  • डेटा का आकार सीमित होता है।
  • उच्च गुणवत्ता वाले विश्लेषण से डेटा को खोजा जा सकता है।
  • इमेज या ऑडियो गुणवत्ता में हल्का परिवर्तन हो सकता है।

निष्कर्ष:

स्टेग्नोग्राफी आधुनिक सूचना सुरक्षा का एक रचनात्मक पहलू है। यह क्रिप्टोग्राफी के साथ मिलकर डेटा सुरक्षा को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाती है। जैसे-जैसे डिजिटल मीडिया का उपयोग बढ़ता जा रहा है, Steganography की भूमिका भविष्य में और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।

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