Principles of Public Key Cryptosystems Explained in Hindi & English | सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोसिस्टम के सिद्धांत (Complete Notes for Data Science & Information Security Students)


सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोसिस्टम के सिद्धांत (Principles of Public Key Cryptosystems)

परिचय:

सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोसिस्टम (Public Key Cryptosystem) आधुनिक क्रिप्टोग्राफी की सबसे महत्वपूर्ण तकनीकों में से एक है। इसे 1976 में Whitfield Diffie और Martin Hellman द्वारा पेश किया गया था। इस प्रणाली ने एन्क्रिप्शन की पारंपरिक अवधारणा को बदल दिया — जहाँ अब एक कुंजी से डेटा को एन्क्रिप्ट किया जा सकता है और दूसरी अलग कुंजी से डिक्रिप्ट किया जा सकता है।

यह प्रणाली Asymmetric Key Cryptography कहलाती है क्योंकि इसमें दो अलग-अलग कुंजियों का उपयोग होता है — एक Public Key और एक Private Key

सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोसिस्टम की आवश्यकता:

  • Symmetric Key Cryptography में Key Distribution की समस्या होती है।
  • दो अलग-अलग उपयोगकर्ताओं को एक ही Secret Key साझा करनी पड़ती थी।
  • यदि Key लीक हो जाए, तो पूरा सिस्टम असुरक्षित हो जाता था।
  • इन समस्याओं को दूर करने के लिए Asymmetric Encryption का विकास किया गया।

सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोसिस्टम की परिभाषा:

Public Key Cryptosystem एक ऐसा क्रिप्टोग्राफिक मॉडल है जिसमें प्रत्येक उपयोगकर्ता के पास एक कुंजी जोड़ी (Key Pair) होती है:

  • Public Key: सभी के लिए उपलब्ध होती है।
  • Private Key: केवल उपयोगकर्ता के पास सुरक्षित रहती है।

कार्य सिद्धांत:

Encryption: C = E(P, KU)
Decryption: P = D(C, KR)

जहाँ,

  • P = Plaintext
  • C = Ciphertext
  • KU = Public Key
  • KR = Private Key

सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोसिस्टम के प्रमुख घटक:

  • कुंजी निर्माण (Key Generation)
  • एन्क्रिप्शन (Encryption)
  • डिक्रिप्शन (Decryption)

1️⃣ कुंजी निर्माण (Key Generation):

सिस्टम दो कुंजियाँ उत्पन्न करता है — Public और Private। ये गणितीय रूप से आपस में संबंधित होती हैं लेकिन एक से दूसरी निकालना बहुत कठिन होता है।

2️⃣ एन्क्रिप्शन (Encryption):

संदेश भेजने वाला व्यक्ति रिसीवर की Public Key का उपयोग करके डेटा एन्क्रिप्ट करता है।

3️⃣ डिक्रिप्शन (Decryption):

रिसीवर अपनी Private Key का उपयोग करके Ciphertext को डिक्रिप्ट करता है।

सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोसिस्टम का उदाहरण (RSA आधार पर):

  1. Receiver दो Prime Numbers चुनता है — p और q।
  2. n = p × q
  3. φ(n) = (p – 1)(q – 1)
  4. एक Public Exponent e चुनता है (जो φ(n) के साथ Co-prime हो)।
  5. Private Key d इस प्रकार चुनी जाती है कि (d × e) mod φ(n) = 1

Encryption: C = P^e mod n Decryption: P = C^d mod n

सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोसिस्टम की विशेषताएँ:

  • असमान कुंजियों का उपयोग।
  • गणितीय रूप से जटिल गणना पर आधारित।
  • Non-repudiation (भेजने वाला इनकार नहीं कर सकता)।
  • Authentication (पहचान की पुष्टि)।
  • Confidentiality (गोपनीयता)।

लाभ:

  • Key Distribution की समस्या का समाधान।
  • डेटा की उच्च सुरक्षा।
  • डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) संभव।
  • Key Exchange को आसान बनाता है।

सीमाएँ:

  • गणनात्मक रूप से धीमा।
  • Symmetric Cryptography की तुलना में अधिक जटिल।
  • Key Size बड़ी होती है (1024–4096 bits)।

वास्तविक उपयोग:

  • SSL/TLS Certificates
  • PGP (Pretty Good Privacy)
  • Email Encryption
  • Blockchain Cryptography
  • Digital Signatures

सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोसिस्टम के उदाहरण:

  • RSA Algorithm
  • ElGamal Cryptography
  • Diffie-Hellman Key Exchange
  • Elliptic Curve Cryptography (ECC)

निष्कर्ष:

Public Key Cryptosystem ने सूचना सुरक्षा की दुनिया में एक क्रांति लाई। इसने न केवल डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित की, बल्कि Authentication और Non-Repudiation जैसे तत्व भी जोड़े। आधुनिक डिजिटल संचार, ईमेल एन्क्रिप्शन और ब्लॉकचेन सुरक्षा के लिए यह एक बुनियादी तकनीक बन चुका है।

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