Cryptography Concepts and Techniques | क्रिप्टोग्राफी की अवधारणाएँ और तकनीकें


क्रिप्टोग्राफी की अवधारणाएँ और तकनीकें (Cryptography Concepts and Techniques)

परिचय:

आज के डिजिटल युग में सूचना (Information) को सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है। हर दिन अरबों डेटा पैकेट इंटरनेट के माध्यम से ट्रांसमिट किए जाते हैं। इन सभी डेटा के बीच यह सुनिश्चित करना कि संवेदनशील जानकारी गलत हाथों में न जाए, क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) का उद्देश्य है।

क्रिप्टोग्राफी वह विज्ञान है जो सूचना को इस प्रकार रूपांतरित करता है कि केवल अधिकृत व्यक्ति ही उसे पढ़ सके। यह डेटा की गोपनीयता (Confidentiality), अखंडता (Integrity), प्रमाणीकरण (Authentication) और अस्वीकरण न होना (Non-Repudiation) सुनिश्चित करता है।

क्रिप्टोग्राफी का इतिहास:

क्रिप्टोग्राफी का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन सभ्यताओं में संदेशों को छिपाने के लिए प्रतीक, संकेत और कोड का उपयोग किया जाता था। सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है — Caesar Cipher, जिसमें अक्षरों को निश्चित संख्या में शिफ्ट किया जाता था।

आधुनिक क्रिप्टोग्राफी गणितीय एल्गोरिद्म और कंप्यूटेशनल तकनीकों पर आधारित है। यह आज के डिजिटल लेनदेन, ईमेल सुरक्षा, और नेटवर्क एन्क्रिप्शन का आधार है।

क्रिप्टोग्राफी के मूल घटक:

  1. Plain Text (साधारण पाठ): वह वास्तविक संदेश जो एन्क्रिप्शन से पहले मौजूद होता है।
  2. Cipher Text (कूट पाठ): एन्क्रिप्शन के बाद प्राप्त डेटा जो पढ़ने योग्य नहीं होता।
  3. Encryption (कूटलेखन): Plain text को Cipher text में बदलने की प्रक्रिया।
  4. Decryption (डिकूटलेखन): Cipher text को पुनः Plain text में बदलना।
  5. Key (कुंजी): एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन में प्रयुक्त मान।

क्रिप्टोग्राफी के उद्देश्य:

  • डेटा की गोपनीयता बनाए रखना।
  • डेटा की अखंडता सुनिश्चित करना।
  • प्रेषक और प्राप्तकर्ता की पहचान की पुष्टि करना।
  • डेटा से इनकार न करने की गारंटी देना।

क्रिप्टोग्राफी के प्रकार:

  1. 1. Symmetric Key Cryptography (समान कुंजी क्रिप्टोग्राफी): इसमें एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन दोनों के लिए एक ही कुंजी का उपयोग किया जाता है।
    • उदाहरण: DES (Data Encryption Standard), AES (Advanced Encryption Standard)।
    • लाभ: तेज़ और कुशल।
    • हानि: कुंजी वितरण कठिन होता है।
  2. 2. Asymmetric Key Cryptography (असमान कुंजी क्रिप्टोग्राफी): इसमें दो कुंजियों का उपयोग होता है — एक Public Key और एक Private Key।
    • Public Key एन्क्रिप्शन के लिए और Private Key डिक्रिप्शन के लिए उपयोग होती है।
    • उदाहरण: RSA, DSA, ECC।
    • लाभ: सुरक्षित कुंजी वितरण।
    • हानि: गणनाएँ जटिल और धीमी होती हैं।

क्रिप्टोग्राफिक तकनीकें:

1. Substitution Techniques (प्रतिस्थापन तकनीक)

इस तकनीक में प्रत्येक अक्षर को किसी अन्य अक्षर या प्रतीक से बदल दिया जाता है।

  • उदाहरण: Caesar Cipher, Monoalphabetic Cipher, Playfair Cipher।
  • उपयोग: शुरुआती क्रिप्टोग्राफिक प्रणालियों में।

2. Transposition Techniques (स्थानांतरण तकनीक)

इस तकनीक में संदेश के अक्षरों का क्रम बदल दिया जाता है लेकिन अक्षर स्वयं वही रहते हैं।

  • उदाहरण: Rail Fence Cipher, Columnar Transposition।

3. Modern Encryption Algorithms

  • AES (Advanced Encryption Standard): 128, 192, या 256-bit keys का उपयोग करता है।
  • RSA Algorithm: Asymmetric encryption का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण।
  • Blowfish: Lightweight symmetric cipher।
  • Elliptic Curve Cryptography (ECC): Mobile और IoT डिवाइसेस के लिए उपयुक्त।

क्रिप्टोग्राफी की प्रक्रिया:

Plain Text → [Encryption Algorithm + Key] → Cipher Text → [Decryption Algorithm + Key] → Plain Text

स्टीग्नोग्राफी (Steganography):

स्टीग्नोग्राफी एक तकनीक है जिसमें सूचना को किसी अन्य माध्यम (जैसे छवि या ऑडियो) के अंदर छिपाया जाता है ताकि यह किसी को दिखाई न दे।

कुंजी रेंज और कुंजी आकार (Key Range and Key Size):

कुंजी की लंबाई जितनी बड़ी होगी, एन्क्रिप्शन उतना ही मजबूत होगा। उदाहरण के लिए, 128-bit AES की तुलना में 256-bit AES अधिक सुरक्षित है।

संभावित हमले (Possible Types of Attacks):

  • Brute Force Attack – सभी संभावित कुंजियों को आज़माना।
  • Cryptanalysis – गणितीय तकनीकों का उपयोग करके एन्क्रिप्शन को तोड़ना।
  • Side Channel Attack – सिस्टम के व्यवहार से कुंजी प्राप्त करना।

वास्तविक जीवन अनुप्रयोग:

  • ऑनलाइन बैंकिंग और भुगतान प्रणाली में डेटा एन्क्रिप्शन।
  • ईमेल और मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन।
  • ब्लॉकचेन तकनीक में डिजिटल हस्ताक्षर।
  • VPN और HTTPS में सुरक्षित संचार।

निष्कर्ष:

क्रिप्टोग्राफी आधुनिक सूचना सुरक्षा की रीढ़ है। यह न केवल डेटा की सुरक्षा करती है बल्कि उपयोगकर्ता के विश्वास को भी बनाए रखती है। जैसे-जैसे साइबर हमले जटिल होते जा रहे हैं, क्रिप्टोग्राफिक तकनीकों का निरंतर विकास आवश्यक है।

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