Unsuitability of Traditional TCP | पारंपरिक TCP की अनुपयुक्तता


पारंपरिक TCP की अनुपयुक्तता (Unsuitability of Traditional TCP)

परिचय

ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (TCP) इंटरनेट की सबसे महत्वपूर्ण प्रोटोकॉलों में से एक है, जो विश्वसनीय डाटा ट्रांसफर सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है। पारंपरिक TCP को वायर्ड नेटवर्क के लिए डिज़ाइन किया गया था, जहाँ नेटवर्क की विश्वसनीयता बहुत अधिक होती है और पैकेट लॉस का मुख्य कारण नेटवर्क कंजेशन होता है। लेकिन जब TCP को मोबाइल या वायरलेस नेटवर्क में उपयोग किया जाता है, तो इसके प्रदर्शन में गंभीर समस्याएँ आती हैं। इसका कारण है — वायरलेस नेटवर्क की अस्थिरता, हैंडओवर, और सिग्नल लॉस जैसी स्थितियाँ।

मुख्य अवधारणा

  • TCP का मूल उद्देश्य नेटवर्क के बीच विश्वसनीय संचार प्रदान करना है।
  • यह पैकेट लॉस को कंजेशन का संकेत मानता है, और कंजेशन कंट्रोल लागू करता है।
  • वायरलेस नेटवर्क में पैकेट लॉस का कारण हमेशा कंजेशन नहीं होता; यह रेडियो इंटरफेरेंस या हैंडओवर के कारण भी हो सकता है।

पारंपरिक TCP की सीमाएँ (Limitations of Traditional TCP)

  1. हाई बिट एरर रेट (High Bit Error Rate): वायरलेस नेटवर्क में सिग्नल इंटरफेरेंस के कारण बिट एरर बढ़ जाते हैं। TCP इन्हें कंजेशन मानता है और अनावश्यक रूप से विंडो साइज घटा देता है।
  2. हैंडओवर विलंब (Handover Delay): मोबाइल नोड एक सेल से दूसरी सेल में जाने पर अस्थायी कनेक्शन लॉस होता है, जिससे TCP टाइमआउट और रिट्रांसमिशन शुरू करता है।
  3. असमान RTT (Round Trip Time): वायरलेस लिंक की अस्थिरता के कारण RTT में परिवर्तन TCP की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है।
  4. कंजेशन कंट्रोल की गलत प्रतिक्रिया: TCP का एल्गोरिद्म वायरलेस एरर को कंजेशन समझ लेता है, जिससे थ्रूपुट घटता है।
  5. मोबाइलिटी और डायनामिक IP: मोबाइल नोड्स के IP बदलने से TCP सेशन टूट सकता है।

TCP में परफॉर्मेंस इश्यू

TCP का कंजेशन कंट्रोल, फ्लो कंट्रोल और टाइमआउट मेकैनिज्म वायरलेस एनवायरनमेंट में अपेक्षित परिणाम नहीं देते। TCP विंडो साइज को बार-बार घटाने से नेटवर्क थ्रूपुट काफी कम हो जाता है।

समाधान के प्रयास

  • TCP के कुछ संशोधित संस्करण जैसे I-TCP, S-TCP और M-TCP विकसित किए गए हैं जो वायरलेस नेटवर्क के लिए बेहतर प्रदर्शन देते हैं।
  • इनमें कंजेशन और वायरलेस एरर को अलग-अलग हैंडल किया जाता है।

उदाहरण

उदाहरण के लिए, यदि एक मोबाइल यूज़र किसी वीडियो को स्ट्रीम कर रहा है और वह एक सेल टॉवर से दूसरे में चला जाता है, तो थोड़ी देर के लिए डेटा लॉस होगा। TCP इसे कंजेशन समझेगा और विंडो साइज घटा देगा, जिससे वीडियो बफरिंग बढ़ेगी।

प्रभाव

  • डेटा ट्रांसफर की गति घटती है।
  • रिट्रांसमिशन की संख्या बढ़ जाती है।
  • ऊर्जा की खपत बढ़ जाती है।
  • यूज़र अनुभव खराब होता है।

निष्कर्ष

पारंपरिक TCP वायरलेस और मोबाइल नेटवर्क के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि यह मोबाइलिटी, हैंडओवर और बिट एरर जैसी स्थितियों को संभालने में असमर्थ है। इसलिए मोबाइल कंप्यूटिंग में TCP के संशोधित संस्करणों का उपयोग किया जाता है जैसे I-TCP, S-TCP, और M-TCP।

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