GSM Localization and Calling | जीएसएम में लोकेलाइजेशन और कॉलिंग कैसे काम करती है
GSM में लोकेलाइजेशन और कॉलिंग (Localization and Calling)
परिचय
GSM (Global System for Mobile Communication) के कोर कार्यों में से दो मूलभूत प्रक्रियाएँ हैं — लोकेलाइजेशन (Localization or Location Management) और कॉलिंग (Call Setup and Calling). लोकेलाइजेशन यह निर्धारित करता है कि मोबाइल सब्सक्राइबर नेटवर्क के किस हिस्से (किस सेल/लोकेशन एरिया) में स्थित है ताकि इनकमिंग कॉल, SMS और अन्य सेवाएँ उसे सही तरीके से पहुँचा दी जाएँ। कॉलिंग प्रक्रिया में कॉल की पहचान, रूटिंग, सिग्नलिंग और कनेक्शन सेटअप शामिल होते हैं।
मुख्य शब्दावलियाँ
- MS (Mobile Station) — उपयोगकर्ता का मोबाइल डिवाइस।
- IMSI — अंतरराष्ट्रीय सब्सक्राइबर पहचान संख्या (Stored on SIM).
- MSISDN — मोबाइल सब्सक्राइबर का सार्वजनिक फोन नंबर।
- HLR (Home Location Register) — हर सब्सक्राइबर की स्थायी जानकारी का डेटाबेस।
- VLR (Visitor Location Register) — उस क्षेत्र के लिए अस्थायी सब्सक्राइबर डेटा।
- LA (Location Area) — कई सेल्स का समूह; एक Location Area Code (LAC) होता है।
- TMSI — Temporary Mobile Subscriber Identity (प्राइवेसी के लिए)।
- Paging — मोबाइल को इनकमिंग कॉल के लिए खोजने की प्रक्रिया।
लोकेशन मैनेजमेंट के उद्देश्य
- उपयोगकर्ता की स्थिति का पता लगाना ताकि इनकमिंग कॉल रूट की जा सके।
- लोकेशन अपडेट के माध्यम से नेटवर्क को यह जानकारी देना कि उपयोगकर्ता किस लोकेशन एरिया में है।
- पेज़िंग के जरिए मोबाइल को खोजकर कॉल/मैसेज का डिलीवरी सुनिश्चित करना।
- रूमिंग के समय सब्सक्राइबर डेटा का प्रबंधन (प्रवासी उपयोगकर्ता)।
लोकेलाइजेशन की मुख्य प्रक्रियाएँ
1. लोकेशन एरिया और LAC
GSM नेटवर्क को लोकेशन एरियाज (LA) में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक LA का एक यूनिक Location Area Code (LAC) होता है। जब मोबाइल किसी नए LA में प्रवेश करता है तो उसे एक Location Update
2. Location Update
Location Update तब होता है जब MS एक नए LA में प्रवेश करता है या पावर-ऑन होता है। MS, BSC/BTS के माध्यम से VLR/MSC को अपनी उपस्थिति सूचित करता है। VLR फिर HLR को अपडेट करता है ताकि सब्सक्राइबर की नई लोकेशन रजिस्टर्ड हो सके।
3. Paging (पेज़िंग)
जब कोई इनकमिंग कॉल या SMS आता है तो नेटवर्क MS को पेज करता है। MSC/HLR यह पता लगाता है कि MS किस VLR में दर्ज है और फिर उस VLR के भीतर संबंधित LA में पेज सिग्नल भेजता है। यदि मोबाइल कई LA में हो सकता है तो पेजिंग कई LAs में फैलाई जाती है।
4. HLR और VLR का रोल
- HLR: सब्सक्राइबर की स्थायी जानकारी — IMSI, MSISDN, सेवाएँ, और HLR में सब्सक्राइबर का वर्तमान VLR pointer रहता है।
- VLR: जब सब्सक्राइबर किसी MSC क्षेत्र में आता है, तो VLR HLR से सब्सक्राइबर की जानकारी कॉपी करता है और कॉल/संदेश सेवा प्रक्रिया के लिए अस्थायी डेटा रखता है।
रूमिंग और लोकेशन मैनेजमेंट
रूमिंग के दौरान, जब MS किसी दूसरे नेटवर्क (Visited Network) में प्रवेश करता है, तो उस नेटवर्क का VLR HLR से सब्सक्राइबर की परमिशन और प्रोफ़ाइल मांगता है। HLR में उस सब्सक्राइबर का VLR pointer अपडेट होता है। इस प्रकार इनकमिंग कॉल HLR से VLR के माध्यम से MS तक पहुँचा दी जाती है।
गोपनीयता और TMSI
IMSI जैसी संवेदनशील पहचान को एयर इंटरफ़ेस पर बार-बार भेजने से गोपनीयता प्रभावित होती है। इसलिए GSM TMSI (Temporary Mobile Subscriber Identity) का उपयोग करता है जो नियमित अंतराल पर बदलता है और सिर्फ़ स्थानीय VLR द्वारा मैप किया जाता है — इस तरह IMSI का खुलासा कम होता है।
कॉल सेटअप की प्रक्रिया — चरणबद्ध व्याख्या
यहाँ हम एक सामान्य कॉल-सेटअप का चरण-दर-चरण वर्णन कर रहे हैं — जब कोई बाहर से आप के नंबर पर कॉल करता है:
- कॉल इनिशिएटिंग: PSTN/IP नेटवर्क से कॉल आपके MSISDN (फोन नंबर) पर आती है और यह MSC को रूट होती है।
- HLR चेक: MSC HLR से संपर्क करता है ताकि पता लगा सके कि MS किस VLR/MSC में रजिस्टर्ड है (यदि रूमिंग में है तो visited HLR pointer)।
- VLR का निर्धारण: HLR बताता है कि MS किस VLR में है।
- Paging: उस VLR के अंतर्गत सम्बंधित Location Area में पेज सिग्नल भेजा जाता है — BTS/BCCH के जरिए MS को पेज किया जाता है।
- MS रिस्पॉन्स: MS पेज रिक्वेस्ट का रिस्पॉन्स देता है और रैण्डम (random access) प्रक्रिया के माध्यम से चैनल प्राप्त करता है।
- रिसोर्स अलोकेशन: BSC/MSC कॉल के लिए आवश्यक चैनल (वॉइस सिंगल/लॉजीकल चैनल) अलॉट करते हैं।
- रिंग और कॉल सेटअप: MS रिंग करता है; यदि यूजर रिसीव करता है तो कॉल कनेक्ट हो जाती है और चैनल पर वॉयस डेटा एक्सचेंज शुरू होता है।
- कॉल मॉडिफिकेशन और हेंडओवर: कॉल के दौरान यदि MS कब किसी अन्य सेल में जाता है तो BSC/MSC हैंडओवर मैनेज करते हैं।
SIGNALLING प्रोटोकॉल और चैनल्स
GSM में सिग्नलिंग और ट्रांसपोर्ट दोनों के लिए विशेष चैनल और प्रोटोकॉल होते हैं — जैसे SS7 (Signaling System No.7) को MSC और HLR/VLR के बीच उपयोग किया जाता है; एयर इंटरफ़ेस पर LAPDm, RLC/MAC जैसे लेयर्स का उपयोग होता है।
कॉलिंग में सुरक्षा और ऑथेन्टिकेशन
प्रत्येक कॉल सेटअप से पहले, नेटवर्क और MS के बीच mutual authentication होता है (AUC का उपयोग करके)। यह एन्क्रिप्शन कीज (Kc) जनरेट करता है जो एयर लिंक पर ट्रांसमिशन को एन्क्रिप्ट करता है। इससे कॉल और संदेशों की गोपनीयता बनी रहती है।
उदाहरण: इनकमिंग कॉल का एक सरल केस स्टडी
मान लीजिए कि व्यक्ति A (होम नेटवर्क में) व्यक्ति B के MSISDN पर कॉल करता है। कॉल PSTN से MSC (B का HLR रूट किया गया MSC) तक जाती है। MSC HLR से B के VLR का पता लगाता है, फिर VLR के अंतर्गत LA में पेजिंग भेजता है, MS पेज का उत्तर देता है, चैनल अलॉट होता है, और अंततः कॉल कनेक्ट हो जाती है।
लोकेलाइजेशन व कॉलिंग के सामान्य इश्यू और सीमाएँ
- पेजिंग ओवरहेड: बड़े Location Area में पेजिंग बहुत महंगी हो सकती है (रिसोर्स ओवरहेड)।
- लैटेंसी: HLR/VLR संकेतों और पेजिंग के कारण कॉल सेटअप में लेटेंसी बढ़ सकती है।
- इनकम्प्लीट रजिस्ट्री: अगर VLR और HLR सिंक में नहीं हैं तो कॉल मिसरूट हो सकती है।
- गोपनीयता जोखिम: एयर इंटरफ़ेस पर पहचान का खुलासा यदि TMSI/IMSI सुरक्षित रूप से प्रबंधित न हों।
निष्कर्ष
GSM में लोकेलाइजेशन और कॉलिंग जटिल लेकिन सुव्यवस्थित प्रक्रियाएँ हैं — जिनमें HLR/VLR, paging, location update और signaling protocols का समन्वय शामिल है। ये प्रक्रियाएँ सुनिश्चित करती हैं कि यूज़र किसी भी स्थान पर हो, सेवा उपलब्ध रहे, इनकमिंग कॉल पहुँचें और सत्र सुरक्षित रूप से स्थापित हों। आधुनिक नेटवर्क (LTE/5G) में सिद्धांत समान रहते हैं पर तकनीक और प्रोटोकॉल विकसित होते हैं, पर GSM के ये मूल सिद्धांत आज भी वायरलेस कम्युनिकेशन की नींव हैं।
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