IP Addressing | IP एड्रेसिंग और उसका वर्गीकरण (IPv4 और IPv6 सहित)


IP एड्रेसिंग और उसका वर्गीकरण (IP Addressing and Its Classification)

परिचय (Introduction)

नेटवर्किंग में प्रत्येक डिवाइस की एक विशिष्ट पहचान होती है जिसे IP Address (Internet Protocol Address) कहा जाता है। यह एक संख्यात्मक पता है जो किसी नेटवर्क में मौजूद डिवाइस को अन्य डिवाइसों से अलग करता है। IP Address का उपयोग डेटा पैकेट को स्रोत से गंतव्य तक पहुँचाने के लिए किया जाता है। वर्तमान में IP Address दो प्रकार के होते हैं — IPv4 और IPv6।

IP Address क्या है?

IP Address एक अद्वितीय पहचान संख्या होती है जो नेटवर्क में जुड़े प्रत्येक डिवाइस को असाइन की जाती है। यह या तो 32-बिट (IPv4) या 128-बिट (IPv6) संख्या होती है। IP Address दो भागों में विभाजित होता है:

  • Network ID: नेटवर्क की पहचान बताता है।
  • Host ID: उस नेटवर्क के भीतर किसी विशेष डिवाइस की पहचान करता है।

IPv4 Addressing (IPv4 एड्रेसिंग)

IPv4 एड्रेसिंग सबसे पुराना और अभी भी व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला संस्करण है। यह 32-बिट एड्रेसिंग स्कीम का उपयोग करता है, जिसे चार ऑक्टेट्स में विभाजित किया जाता है, जैसे 192.168.1.1।

IPv4 का स्वरूप (Structure of IPv4)

  • कुल 32 बिट (4 ऑक्टेट्स × 8 बिट)
  • प्रत्येक ऑक्टेट का मान 0 से 255 तक हो सकता है।
  • उदाहरण: 172.16.254.1

IPv4 एड्रेस क्लासेज़ (Classes of IPv4 Address)

क्लासप्रारंभिक बिट्सरेंजडिफ़ॉल्ट सबनेट मास्कउपयोग
A01.0.0.0 से 126.255.255.255255.0.0.0बड़े नेटवर्क्स के लिए
B10128.0.0.0 से 191.255.255.255255.255.0.0मध्यम नेटवर्क्स
C110192.0.0.0 से 223.255.255.255255.255.255.0छोटे नेटवर्क्स
D1110224.0.0.0 से 239.255.255.255N/Aमल्टीकास्ट
E1111240.0.0.0 से 255.255.255.255N/Aप्रयोगात्मक

Private और Public IP Addresses

  • Private IP: लोकल नेटवर्क में उपयोग होने वाले IP एड्रेस (इंटरनेट पर नहीं पहुँचते)।
  • Public IP: इंटरनेट पर पहचान के लिए उपयोग किए जाने वाले IP एड्रेस।

Private IP Range:

  • Class A: 10.0.0.0 – 10.255.255.255
  • Class B: 172.16.0.0 – 172.31.255.255
  • Class C: 192.168.0.0 – 192.168.255.255

Subnetting (सबनेटिंग)

Subnetting एक बड़ी नेटवर्क को छोटे-छोटे नेटवर्क (Subnets) में विभाजित करने की तकनीक है। यह नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेशन को सरल बनाती है और IP Address के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करती है।

Subnet Mask का कार्य:

  • Subnet Mask यह निर्धारित करता है कि IP Address का कौन सा भाग Network ID है और कौन सा Host ID।
  • उदाहरण: 255.255.255.0 का अर्थ है कि पहले तीन ऑक्टेट Network ID हैं।

Subnetting के लाभ:

  • नेटवर्क ट्रैफिक कम होता है।
  • सुरक्षा बढ़ती है।
  • IP Address का कुशल उपयोग।

Supernetting (सुपरनेटिंग)

Supernetting छोटे नेटवर्क्स को जोड़कर एक बड़ा नेटवर्क बनाने की तकनीक है। इसे CIDR (Classless Inter-Domain Routing) भी कहा जाता है।

CIDR नोटेशन:

उदाहरण: 192.168.10.0/24 — यहाँ ‘/24’ का अर्थ है कि पहले 24 बिट Network ID हैं।

IPv6 Addressing (IPv6 एड्रेसिंग)

IPv6 को IPv4 की सीमाओं को दूर करने के लिए विकसित किया गया। IPv4 के 32-बिट एड्रेस स्पेस की तुलना में IPv6 में 128-बिट एड्रेस होते हैं, जिससे ट्रिलियंस यूनिक एड्रेस बनाए जा सकते हैं।

IPv6 Address Structure

  • 128 बिट का एड्रेस 8 ब्लॉकों में विभाजित होता है।
  • प्रत्येक ब्लॉक में 4 हेक्साडेसिमल अंक होते हैं।
  • उदाहरण: 2001:0db8:85a3:0000:0000:8a2e:0370:7334

IPv6 की विशेषताएँ (Features)

  • अधिक एड्रेस स्पेस (128-बिट)
  • ऑटो-कॉन्फ़िगरेशन (Auto-Configuration)
  • इन-बिल्ट सुरक्षा (IPSec)
  • हायरार्किकल एड्रेसिंग
  • ब्रॉडकास्ट की जगह मल्टीकास्ट

IPv4 बनाम IPv6 तुलना (Comparison)

विशेषताIPv4IPv6
Address Size32-bit128-bit
Address FormatDecimal (e.g., 192.168.1.1)Hexadecimal (e.g., 2001:db8::1)
Header Size20 bytes40 bytes
SecurityOptionalMandatory (IPSec)
ConfigurationManual or DHCPAuto & Stateless
FragmentationRouter & HostOnly Host

IP Addressing में उपयोगी कमांड्स

  • ipconfig (Windows): IP जानकारी देखने के लिए।
  • ifconfig (Linux): नेटवर्क इंटरफेस की जानकारी के लिए।
  • ping: किसी IP Address की पहुंच जांचने के लिए।
  • traceroute: पैकेट के मार्ग का पता लगाने के लिए।

उपयोग (Applications)

  • नेटवर्क पहचान और संचार में।
  • क्लाउड कंप्यूटिंग और IoT डिवाइसेस में।
  • नेटवर्क सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण में।
  • मोबाइल नेटवर्क्स और इंटरनेट प्रोटोकॉल्स में।

निष्कर्ष (Conclusion)

IP Addressing आधुनिक नेटवर्किंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। IPv4 और IPv6 दोनों ने वैश्विक संचार को संभव बनाया है। IPv6 की ओर संक्रमण भविष्य की नेटवर्किंग की दिशा तय करता है, जिसमें अधिक सुरक्षा, अधिक स्केलेबिलिटी और बेहतर प्रदर्शन शामिल है।

Related Post