Go-Back-N Protocol in Computer Network in Hindi: परिभाषा, कार्य और उपयोग


Go-Back-N Protocol क्या है?

**Go-Back-N (GBN) Protocol** कंप्यूटर नेटवर्क में **Sliding Window Protocol** का एक प्रकार है, जिसका उपयोग **डेटा ट्रांसमिशन को अधिक प्रभावी बनाने** के लिए किया जाता है। यह **फ्लो कंट्रोल और एरर कंट्रोल** के लिए प्रयोग होता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि डेटा सही क्रम में रिसीवर तक पहुंचे।

Go-Back-N Protocol की विशेषताएँ

  • **एक समय में कई फ्रेम्स भेजे जा सकते हैं**, लेकिन रिसीवर को क्रम में फ्रेम्स प्राप्त होने चाहिए।
  • **यदि कोई फ्रेम खो जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है**, तो उस फ्रेम के साथ-साथ उसके बाद के सभी फ्रेम्स को पुनः भेजा जाता है।
  • **Sliding Window** तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिससे डेटा ट्रांसमिशन की गति बढ़ती है।
  • **ACK (Acknowledgment) रिसीवर द्वारा भेजा जाता है**, जिससे पुष्टि होती है कि डेटा सही से प्राप्त हुआ है।

Go-Back-N Protocol की कार्यप्रणाली

इस प्रोटोकॉल में डेटा ट्रांसमिशन निम्नलिखित चरणों में होता है:

  1. **स्रोत (Sender) एक समय में कई फ्रेम भेज सकता है**, लेकिन यह संख्या **विंडो साइज (N)** पर निर्भर करती है।
  2. **रिसीवर (Receiver) यदि सभी फ्रेम्स सही से प्राप्त करता है**, तो वह ACK भेजता है।
  3. **यदि कोई फ्रेम खो जाता है या भ्रष्ट (Corrupt) हो जाता है**, तो रिसीवर उस फ्रेम के बाद के सभी फ्रेम्स को अस्वीकार कर देता है।
  4. **स्रोत उन सभी अस्वीकार किए गए फ्रेम्स को पुनः भेजता है।**

Go-Back-N Protocol में Sliding Window

इसमें दो मुख्य विंडो का उपयोग किया जाता है:

  • **Sender Window:** यह इंगित करता है कि स्रोत कितने फ्रेम्स को बिना ACK प्राप्त किए भेज सकता है।
  • **Receiver Window:** इसमें आमतौर पर **केवल एक फ्रेम** होता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि डेटा क्रम में ही स्वीकार किया जाए।

Go-Back-N Protocol का उदाहरण

मान लीजिए, **विंडो साइज N = 4** है और निम्नलिखित फ्रेम्स भेजे जाते हैं:

  • स्रोत ने फ्रेम **1, 2, 3, 4** भेजे।
  • रिसीवर ने फ्रेम **1 और 2** को सही तरीके से प्राप्त किया लेकिन **फ्रेम 3 खो गया**।
  • रिसीवर ने **ACK-2 भेजा**, क्योंकि **ACK 3 नहीं भेजा जा सकता**।
  • स्रोत ने फ्रेम **3 और उसके बाद के सभी फ्रेम्स (3, 4, 5, 6...)** को पुनः भेजा।

Go-Back-N Protocol और Selective Repeat Protocol में अंतर

विशेषता Go-Back-N Selective Repeat
डेटा पुनः भेजने की प्रक्रिया यदि कोई फ्रेम गलत हो जाता है, तो उसके बाद के सभी फ्रेम्स पुनः भेजे जाते हैं। केवल गलत फ्रेम को पुनः भेजा जाता है।
Sliding Window Size विंडो साइज **N** होता है। विंडो साइज **N/2** होता है।
नेटवर्क बैंडविड्थ अधिक बैंडविड्थ खर्च करता है। बैंडविड्थ कुशलता से उपयोग करता है।
जटिलता सरल लेकिन कम प्रभावी। थोड़ा जटिल लेकिन अधिक प्रभावी।

Go-Back-N Protocol के लाभ

  • डेटा ट्रांसमिशन की गति बढ़ाता है।
  • नेटवर्क पर **डेटा लॉस और ओवरलोडिंग** को रोकता है।
  • Sliding Window तकनीक के कारण **डेटा कुशलता से संचारित होता है**।

Go-Back-N Protocol के उपयोग

  • **नेटवर्क लेयर पर तेज़ और कुशल डेटा ट्रांसमिशन** के लिए।
  • **TCP (Transmission Control Protocol) में एरर कंट्रोल** के लिए।
  • **सेटेलाइट और वायरलेस कम्युनिकेशन सिस्टम में** उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष

Go-Back-N Protocol डेटा ट्रांसमिशन की गति और विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए **Sliding Window तकनीक** का उपयोग करता है। हालांकि, इसमें **अधिक डेटा पुनः भेजने की आवश्यकता** होती है, जिससे नेटवर्क की बैंडविड्थ का अधिक उपयोग होता है। यह **तेज़ नेटवर्क कनेक्शन और विश्वसनीय डेटा ट्रांसमिशन के लिए एक प्रभावी समाधान** है।

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