Collision-Free Protocols in Computer Network in Hindi: परिभाषा, कार्य और प्रकार


Collision-Free Protocols क्या हैं?

**Collision-Free Protocols** वे नेटवर्किंग प्रोटोकॉल हैं जो **डेटा ट्रांसमिशन के दौरान टकराव (Collision) को रोकते हैं**। यह प्रोटोकॉल सुनिश्चित करते हैं कि नेटवर्क में डेटा पैकेट एक निर्धारित तरीके से ट्रांसमिट किए जाएँ, ताकि **डेटा लॉस और पुनः ट्रांसमिशन (Retransmission) की आवश्यकता कम हो**।

Collision-Free Protocols की आवश्यकता क्यों होती है?

यदि नेटवर्क में **एक से अधिक डिवाइसेस एक ही समय पर डेटा ट्रांसमिट करते हैं**, तो **Collision हो सकता है**, जिससे डेटा लॉस और नेटवर्क की दक्षता कम हो जाती है। इसलिए, Collision-Free Protocols का उपयोग करके **नेटवर्क की विश्वसनीयता और दक्षता को बढ़ाया जाता है**।

Collision-Free Protocols के प्रकार

Collision-Free Protocols मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:

1. Time Division Multiple Access (TDMA)

  • TDMA में प्रत्येक डिवाइस को **एक विशिष्ट समय स्लॉट आवंटित किया जाता है**, जिसमें वह डेटा भेज सकता है।
  • इसमें **डेटा टकराव नहीं होता**, क्योंकि हर डिवाइस को ट्रांसमिशन के लिए निश्चित समय मिलता है।
  • **उदाहरण:** मोबाइल संचार (GSM नेटवर्क)।

2. Token Passing

  • इसमें **नेटवर्क में एक टोकन (Token) घुमाया जाता है**, जिसे केवल वही डिवाइस पकड़ सकता है, जिसे डेटा भेजना हो।
  • केवल **टोकन धारक डिवाइस ही डेटा ट्रांसमिट कर सकता है**, जिससे टकराव नहीं होता।
  • **उदाहरण:** Token Ring और FDDI (Fiber Distributed Data Interface)।

3. Polling

  • Polling में **एक मास्टर डिवाइस सभी डिवाइसेस से अनुरोध करता है** कि वे डेटा भेजें।
  • **जब मास्टर डिवाइस अनुमति देता है**, तभी डिवाइस डेटा ट्रांसमिट कर सकता है।
  • **उदाहरण:** Star Topology में LAN नेटवर्क।

4. Frequency Division Multiple Access (FDMA)

  • FDMA में **प्रत्येक डिवाइस को डेटा ट्रांसमिशन के लिए एक अलग फ्रीक्वेंसी चैनल दिया जाता है**।
  • इसमें **डेटा टकराव की कोई संभावना नहीं होती**, क्योंकि प्रत्येक डिवाइस एक अलग फ्रीक्वेंसी पर कार्य करता है।
  • **उदाहरण:** मोबाइल संचार (1G नेटवर्क)।

5. Space Division Multiple Access (SDMA)

  • SDMA में **नेटवर्क उपयोगकर्ताओं को भौगोलिक स्थान (Geographical Space) के आधार पर विभाजित किया जाता है**।
  • हर उपयोगकर्ता को एक **अलग भौगोलिक क्षेत्र में रखा जाता है**, जिससे टकराव नहीं होता।
  • **उदाहरण:** मोबाइल सेलुलर नेटवर्क्स (5G, LTE)।

Collision-Free Protocols की कार्यप्रणाली

Collision-Free Protocols की कार्यप्रणाली निम्नलिखित चरणों में कार्य करती है:

  1. नेटवर्क का **Carrier Sense (CS) किया जाता है**, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि ट्रांसमिशन के लिए माध्यम (Medium) उपलब्ध है।
  2. **डिवाइसेस को डेटा ट्रांसमिट करने के लिए पूर्व-निर्धारित स्लॉट्स, टोकन्स, या फ्रीक्वेंसी आवंटित की जाती हैं**।
  3. हर डिवाइस को **उसके निर्धारित समय, फ्रीक्वेंसी या स्थान पर डेटा ट्रांसमिट करने की अनुमति होती है**।
  4. अगर कोई डिवाइस अपने स्लॉट का उपयोग नहीं करता, तो **नेटवर्क इसे अगले स्लॉट में पुनः प्रयास कर सकता है**।
  5. इस प्रक्रिया में **कोई भी डिवाइस नेटवर्क पर अनियंत्रित रूप से डेटा नहीं भेज सकता**, जिससे **Collision नहीं होता**।

Collision-Free Protocols और Collision-Based Protocols में अंतर

विशेषता Collision-Free Protocols Collision-Based Protocols
Collision संभावना नहीं होती हो सकती है
डेटा ट्रांसमिशन का तरीका नियत समय स्लॉट, टोकन या फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है डिवाइसेस स्वतंत्र रूप से डेटा भेजते हैं
नेटवर्क प्रदर्शन बेहतर और अधिक स्थिर अस्थिर और पुनः ट्रांसमिशन की आवश्यकता
उदाहरण TDMA, Token Passing, Polling CSMA, ALOHA

Collision-Free Protocols के उपयोग

  • **मोबाइल नेटवर्क (GSM, LTE, 5G) में डेटा ट्रांसमिशन के लिए।**
  • **Wired और Wireless नेटवर्क (LAN, WAN) में टकराव मुक्त डेटा संचार के लिए।**
  • **सैटेलाइट संचार और रेडियो नेटवर्क में उपयोग किया जाता है।**
  • **IoT (Internet of Things) और स्मार्ट डिवाइसेस में प्रभावी संचार के लिए।**

Collision-Free Protocols के लाभ

  • **नेटवर्क में टकराव को समाप्त करते हैं, जिससे डेटा ट्रांसमिशन अधिक कुशल बनता है।**
  • **नेटवर्क बैंडविड्थ (Bandwidth) का सही उपयोग सुनिश्चित करते हैं।**
  • **डेटा संचार की गति को बढ़ाते हैं और नेटवर्क लेटेंसी को कम करते हैं।**
  • **नेटवर्क पर पुनः ट्रांसमिशन (Retransmission) की आवश्यकता को कम करते हैं।**
  • **टोकन पासिंग, TDMA और Polling जैसी तकनीकों से अधिक विश्वसनीयता मिलती है।**

निष्कर्ष

**Collision-Free Protocols** नेटवर्क में **डेटा संचार को अधिक कुशल और सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक हैं**। TDMA, Token Passing, Polling, FDMA और SDMA जैसी तकनीकों का उपयोग करके **डेटा ट्रांसमिशन को अधिक स्थिर और विश्वसनीय बनाया जाता है**। इनका उपयोग **मोबाइल नेटवर्क, वायर्ड और वायरलेस संचार, और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी आधुनिक तकनीकों में किया जाता है**।

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