Small Scale और Cottage Industries के लिए Rural Financing कैसे बढ़ा? वर्तमान स्थिति क्या है?


Small Scale और Cottage Industries के लिए Rural Financing कैसे बढ़ा? वर्तमान स्थिति क्या है?

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में Small Scale और Cottage Industries (लघु एवं कुटीर उद्योग) आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं। इन उद्योगों को वित्तीय सहायता देना देश के रोज़गार सृजन, आत्मनिर्भरता और स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग में सहायक है।

🏭 Rural Financing कैसे बढ़ा?

  • मुद्रा योजना (PMMY): छोटे व्यवसायों को ₹50,000 से ₹10 लाख तक लोन।
  • KVIC (खादी ग्रामोद्योग आयोग): कुटीर उद्योगों को सब्सिडी सहित वित्तीय सहायता।
  • स्टैंड अप इंडिया योजना: SC/ST और महिलाओं के लिए विशेष ऋण योजना।
  • NABARD Refinance: बैंकों को पुनर्वित्त सहायता जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोन देना आसान हुआ।
  • बैंक लिंकेज और SHG मॉडल: छोटे उत्पादकों को संगठित कर आसान ऋण उपलब्ध कराना।

📊 वर्तमान स्थिति

  • ग्रामीण MSMEs में वृद्धि हुई है – 6.3 करोड़ से अधिक MSMEs कार्यरत।
  • RBI की Priority Sector Lending (PSL) के तहत लघु उद्योगों को प्राथमिकता।
  • सरकार द्वारा ECLGS (Emergency Credit Line Guarantee Scheme) के तहत MSMEs को सहारा।
  • उद्यम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन बढ़ा है जिससे Direct Benefits आसान हुए हैं।

🛠️ चुनौतियाँ भी मौजूद हैं

  • क्रेडिट स्कोर और गारंटी की बाधा
  • डिजिटल लोन प्रक्रिया की समझ की कमी
  • मार्केटिंग और ब्रांडिंग में कमी
  • तकनीकी ज्ञान और गुणवत्ता नियंत्रण की जरूरत

📌 निष्कर्ष

सरकार और वित्तीय संस्थानों के प्रयासों से Small Scale और Cottage Industries के लिए ग्रामीण वित्तपोषण की उपलब्धता में सुधार हुआ है। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, परंतु निरंतर योजनाओं और डिजिटल पहल से इनका समाधान संभव है।

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