Non-Farm Sector में Rural Credit क्या है? जानिए लाभ और चुनौतियाँ


Non-Farm Sector में Rural Credit क्या है? जानिए लाभ और चुनौतियाँ

ग्रामीण भारत की आर्थिक तरक्की केवल कृषि क्षेत्र पर निर्भर नहीं है। Non-Farm Sector जैसे कि कुटीर उद्योग, पशुपालन, बुनाई, हथकरघा, स्वरोजगार आदि ग्रामीण आय का एक बड़ा स्रोत बन चुके हैं। इस सेक्टर में Rural Credit यानी ग्रामीण ऋण की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

📌 Non-Farm Sector क्या है?

Non-Farm Sector में वे सभी आर्थिक गतिविधियाँ शामिल हैं जो कृषि के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में की जाती हैं, जैसे कि:

  • हथकरघा और कुटीर उद्योग
  • दूध उत्पादन और पशुपालन
  • ग्रामीण पर्यटन
  • सेवा आधारित व्यवसाय (दुकान, टेलरिंग, मोबाइल रिपेयर)

✅ Rural Credit के लाभ (Benefits)

  • स्वरोजगार को बढ़ावा
  • गरीबी और पलायन में कमी
  • महिलाओं और युवाओं को रोजगार के अवसर
  • स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विविधता

⚠️ चुनौतियाँ (Challenges)

  • ऋण तक पहुँच में कठिनाई
  • ब्याज दरें अधिक होना
  • प्रशिक्षण और तकनीकी ज्ञान की कमी
  • बाजार तक पहुँच सीमित
  • ऋण वापसी दर (repayment rate) कम होना

📊 निष्कर्ष

Non-Farm Sector में ग्रामीण ऋण प्रणाली एक कुंजी भूमिका निभा सकती है यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए। संस्थागत सहायता, फाइनेंशियल लिटरेसी और स्किल डिवेलपमेंट मिलकर इस सेक्टर को ग्रामीण विकास की रीढ़ बना सकते हैं।

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