Storage Allocation Strategies in Compiler Design in Hindi | स्टोरेज एलोकेशन रणनीतियाँ


स्टोरेज एलोकेशन रणनीतियाँ (Storage Allocation Strategies) क्या होती हैं?

कंपाइलर डिजाइन (Compiler Design) में स्टोरेज एलोकेशन वह प्रक्रिया होती है जिसमें विभिन्न डेटा वेरिएबल्स और प्रोग्राम की आवश्यकताओं को उचित स्थान आवंटित किया जाता है। यह एलोकेशन प्रक्रिया कंपाइल टाइम, लोड टाइम या रन टाइम पर हो सकती है।

स्टोरेज एलोकेशन की प्रमुख रणनीतियाँ

Compiler में तीन मुख्य प्रकार की स्टोरेज एलोकेशन रणनीतियाँ होती हैं:

  • Static Allocation (स्थिर आवंटन)
  • Stack Allocation (स्टैक आवंटन)
  • Heap Allocation (हीप आवंटन)

1. Static Allocation (स्थिर आवंटन)

Static Allocation में सभी वेरिएबल्स और डेटा का मेमोरी आवंटन कंपाइल टाइम पर ही हो जाता है। यह एलोकेशन स्थिर होता है और इसे रन टाइम पर बदला नहीं जा सकता।

लाभ हानि
कंपाइल टाइम पर तेज एलोकेशन डायनामिक डेटा संरचना को सपोर्ट नहीं करता
कम ओवरहेड लचीलेपन की कमी

2. Stack Allocation (स्टैक आवंटन)

Stack Allocation में मेमोरी LIFO (Last In, First Out) सिद्धांत पर आवंटित और मुक्त की जाती है। यह एलोकेशन फंक्शन कॉल्स और रिकर्सन के लिए उपयोगी होता है।

लाभ हानि
फास्ट एलोकेशन और डीलोकेशन सीमित मेमोरी स्पेस
रिकर्सन को सपोर्ट करता है स्टैक ओवरफ्लो की संभावना

3. Heap Allocation (हीप आवंटन)

Heap Allocation में मेमोरी रन टाइम पर डायनामिक रूप से आवंटित की जाती है। यह लिंक्ड लिस्ट, ग्राफ, और अन्य जटिल डेटा संरचनाओं के लिए उपयुक्त होता है।

लाभ हानि
डायनामिक मेमोरी एलोकेशन स्लो एक्सेक्यूशन
लचीलापन प्रदान करता है मेमोरी फ्रेग्मेंटेशन की समस्या

निष्कर्ष

Compiler Design में Static, Stack और Heap Allocation तीन मुख्य एलोकेशन रणनीतियाँ होती हैं। Static Allocation स्थिर है और रन टाइम में बदलाव संभव नहीं होता, Stack Allocation तेज होता है लेकिन सीमित मेमोरी उपयोग करता है, जबकि Heap Allocation अधिक लचीला होता है लेकिन स्लो होता है। किसी भी प्रोग्राम के लिए सही एलोकेशन रणनीति का चयन इसकी आवश्यकताओं और प्रदर्शन की जरूरतों पर निर्भर करता है।

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