एनालिसिस-सिंथेसिस मॉडल ऑफ़ कंपाइलेशन | Analysis-Synthesis Model of Compilation in Hindi


एनालिसिस-सिंथेसिस मॉडल ऑफ़ कंपाइलेशन (Analysis-Synthesis Model of Compilation)

कंपाइलर डिजाइन में कोड के रूपांतरण को दो मुख्य चरणों में विभाजित किया जाता है: एनालिसिस (Analysis) और सिंथेसिस (Synthesis)। इस मॉडल का उपयोग स्रोत कोड (Source Code) को मशीन कोड (Machine Code) में बदलने के लिए किया जाता है।

1. एनालिसिस चरण (Analysis Phase)

इस चरण में कंपाइलर स्रोत कोड को इनपुट के रूप में लेता है और उसे छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके उसकी व्याकरणिक (Grammatical) और तर्कसंगत (Logical) संरचना की जांच करता है। इसे फ्रंटएंड भी कहा जाता है।

एनालिसिस चरण के मुख्य कार्य:

  • लेक्सिकल एनालिसिस (Lexical Analysis): सोर्स कोड को टोकन्स (Tokens) में विभाजित करता है।
  • सिंटैक्स एनालिसिस (Syntax Analysis): कोड की व्याकरणिक संरचना (Grammar) की जांच करता है।
  • सेमांटिक एनालिसिस (Semantic Analysis): कोड के अर्थ और तर्क को जांचता है।
  • सिंबल टेबल निर्माण (Symbol Table Generation): वेरिएबल्स, फंक्शन्स और डेटा स्ट्रक्चर की जानकारी स्टोर करता है।
  • इंटरमीडिएट कोड जेनरेशन (Intermediate Code Generation): स्रोत कोड को एक मध्यवर्ती रूप में बदलता है।

2. सिंथेसिस चरण (Synthesis Phase)

सिंथेसिस चरण में एनालिसिस द्वारा उत्पन्न इंटरमीडिएट कोड को मशीन कोड में बदला जाता है। इसे बैकएंड भी कहा जाता है।

सिंथेसिस चरण के मुख्य कार्य:

  • कोड ऑप्टिमाइजेशन (Code Optimization): कोड को अधिक प्रभावी और तेज़ बनाता है।
  • कोड जेनरेशन (Code Generation): ऑप्टिमाइज़ किए गए कोड को मशीन कोड में परिवर्तित करता है।
  • रजिस्टर एलोकेशन (Register Allocation): वेरिएबल्स को CPU रजिस्टर में संग्रहीत करता है।
  • इंस्ट्रक्शन सेलेक्शन (Instruction Selection): CPU आर्किटेक्चर के अनुसार मशीन निर्देशों का चयन करता है।

एनालिसिस-सिंथेसिस मॉडल का आरेख (Diagram of Analysis-Synthesis Model)

यहां इस मॉडल की चरण-दर-चरण प्रक्रिया का आरेख दिया गया है:

Analysis-Synthesis Model of Compilation

एनालिसिस और सिंथेसिस चरणों के बीच अंतर (Difference Between Analysis and Synthesis Phase)

एनालिसिस चरण सिंथेसिस चरण
यह स्रोत कोड को समझता और उसकी जांच करता है। यह जांचे गए कोड को मशीन कोड में बदलता है।
लेक्सिकल, सिंटैक्स और सेमांटिक एनालिसिस करता है। कोड ऑप्टिमाइजेशन और कोड जेनरेशन करता है।
इंटरमीडिएट कोड का निर्माण करता है। इंटरमीडिएट कोड को मशीन कोड में बदलता है।

एनालिसिस-सिंथेसिस मॉडल का महत्व (Importance of Analysis-Synthesis Model)

  • यह कंपाइलर को मॉड्यूलर और कुशल बनाता है।
  • कोड ऑप्टिमाइजेशन के लिए बेहतर अवसर प्रदान करता है।
  • भिन्न-भिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं और हार्डवेयर आर्किटेक्चर के लिए अनुकूल होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

एनालिसिस-सिंथेसिस मॉडल कंपाइलर डिज़ाइन में कोड रूपांतरण की आधारशिला है। एनालिसिस चरण स्रोत कोड को जांचता है और इंटरमीडिएट कोड बनाता है, जबकि सिंथेसिस चरण इसे मशीन कोड में बदलता है। इस मॉडल की मदद से कंपाइलर का डिज़ाइन अधिक प्रभावी और सुव्यवस्थित बनाया जाता है।

Related Post

Comments

Comments