The Indian Evidence Act of 1872 vs Information Technology Act, 2000: इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स के प्रमाण और प्रबंधन


The Indian Evidence Act of 1872 vs Information Technology Act, 2000: इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स के प्रमाण और प्रबंधन

परिचय

सूचना और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, डिजिटल साक्ष्य की स्वीकृति और प्रबंधन एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। भारत में, The Indian Evidence Act, 1872 और Information Technology Act, 2000 इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स को कानूनी मान्यता देने और प्रमाणिकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

The Indian Evidence Act, 1872 और IT Act, 2000 की तुलना

अधिनियम मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की स्थिति
Indian Evidence Act, 1872 भारतीय न्यायिक प्रणाली में साक्ष्यों की स्वीकृति और उपयोग को नियंत्रित करना मूल रूप से भौतिक साक्ष्यों पर केंद्रित, लेकिन संशोधन के बाद इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को मान्यता प्रदान की गई
Information Technology Act, 2000 इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस, साइबर अपराध और डिजिटल लेनदेन को नियंत्रित करना इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को कानूनी मान्यता और प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाता है

इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स का प्रमाण और वैधता

  • धारा 65B (Indian Evidence Act, 1872): इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की स्वीकृति के लिए डिजिटल साक्ष्य की प्रमाणिकता को स्थापित करने की आवश्यकता होती है।
  • IT Act, 2000 के तहत धारा 4: इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स को वैधता प्रदान करता है और उन्हें भौतिक दस्तावेजों के समान मान्यता दी जाती है।
  • IT Act, 2000 के तहत धारा 79A: सरकार को डिजिटल साक्ष्य के प्रमाणीकरण के लिए एजेंसियाँ नियुक्त करने का अधिकार देती है।

इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स के प्रमाणन और प्रबंधन की चुनौतियाँ

  • डिजिटल साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और हैकिंग की संभावना
  • डेटा की सत्यता और प्रमाणिकता को स्थापित करना
  • साइबर अपराधों के मामलों में डिजिटल साक्ष्य की वैधता को लेकर न्यायिक प्रक्रिया की जटिलताएँ

इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स के प्रबंधन और सुरक्षा उपाय

  • डेटा एन्क्रिप्शन और साइबर सुरक्षा उपाय अपनाना
  • डिजिटल हस्ताक्षर और प्रमाणीकृत प्रमाणपत्रों का उपयोग
  • साक्ष्य संग्रह के लिए मानकीकृत प्रक्रियाओं का पालन करना
  • आईटी अधिनियम और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत कानूनी प्रावधानों का पालन करना

निष्कर्ष

इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स का प्रमाण और प्रबंधन न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग बन गया है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ने इसे कानूनी मान्यता प्रदान की है, लेकिन इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए साइबर सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करना आवश्यक है।

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