DoS and DDoS Attack in Cyber Security: डॉस और डीडीओएस हमले क्या हैं और इससे कैसे बचें
DoS and DDoS Attack in Cyber Security: डॉस और डीडीओएस हमले क्या हैं और इससे कैसे बचें
परिचय
डिनायल ऑफ सर्विस (Denial of Service - DoS) और डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (Distributed Denial of Service - DDoS) हमले साइबर अपराधियों द्वारा किए जाने वाले खतरनाक हमले हैं, जो किसी वेबसाइट, सर्वर या नेटवर्क को ठप करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये हमले सिस्टम को इतना व्यस्त कर देते हैं कि वैध उपयोगकर्ता सेवाओं का उपयोग नहीं कर पाते।
DoS अटैक क्या है?
DoS अटैक एक साइबर हमला है जिसमें एक ही स्रोत (सिंगल कंप्यूटर) से अत्यधिक मात्रा में ट्रैफिक भेजकर सिस्टम को बाधित किया जाता है। इस हमले का उद्देश्य किसी सर्वर, नेटवर्क या वेबसाइट की सेवा को अस्थायी या स्थायी रूप से डाउन करना होता है।
DDoS अटैक क्या है?
DDoS (Distributed Denial of Service) अटैक एक अधिक उन्नत हमला होता है, जिसमें कई संक्रमित कंप्यूटर (बॉटनेट) का उपयोग करके एक साथ किसी सिस्टम पर हमला किया जाता है। यह हमला अधिक शक्तिशाली होता है और इसे रोकना अधिक कठिन होता है।
DoS और DDoS हमलों के प्रकार
- वॉल्यूमेट्रिक अटैक (Volumetric Attack): यह हमला बड़े पैमाने पर ट्रैफिक भेजकर सर्वर के संसाधनों को समाप्त करने का प्रयास करता है।
- प्रोटोकॉल अटैक (Protocol Attack): यह हमला नेटवर्क प्रोटोकॉल में खामियों का लाभ उठाकर सर्वर को ओवरलोड कर देता है।
- एप्लिकेशन लेयर अटैक (Application Layer Attack): यह वेब एप्लिकेशन के स्तर पर हमला करता है, जिससे वेबसाइट या सर्वर की परफॉर्मेंस बाधित होती है।
DoS और DDoS हमलों से बचाव के उपाय
- फायरवॉल और एंटी-डीडीओएस सुरक्षा: नेटवर्क सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें जो संदिग्ध ट्रैफिक को फ़िल्टर कर सकें।
- सर्वर लोड बैलेंसिंग: ट्रैफिक को विभिन्न सर्वरों में वितरित करने से सिस्टम पर कम दबाव पड़ता है।
- रेट लिमिटिंग लागू करें: एक ही स्रोत से आने वाले अत्यधिक अनुरोधों को ब्लॉक करें।
- क्लाउड सिक्योरिटी सेवाओं का उपयोग करें: डीडीओएस हमलों से बचने के लिए क्लाउड-आधारित सुरक्षा उपाय अपनाएँ।
- नेटवर्क ट्रैफिक की निरंतर निगरानी करें: असामान्य गतिविधियों को पहचानकर समय पर प्रतिक्रिया दें।
भारतीय साइबर कानून और DoS/DDoS हमले
- आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 66: अनधिकृत रूप से सिस्टम को बाधित करने पर दंड का प्रावधान करता है।
- आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 43: साइबर अपराधों से पीड़ित व्यक्तियों को मुआवजा प्रदान करने की अनुमति देता है।
- भारतीय दंड संहिता की धारा 426: साइबर अपराधों से संबंधित आपराधिक गतिविधियों के लिए सजा का प्रावधान करता है।
निष्कर्ष
DoS और DDoS हमले किसी भी संगठन के लिए गंभीर साइबर खतरा हो सकते हैं। उचित साइबर सुरक्षा उपायों को अपनाकर, मजबूत नेटवर्क सुरक्षा लागू करके और ट्रैफिक निगरानी बढ़ाकर इन हमलों को रोका जा सकता है।
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