Biodiversity at Global, National, and Local Levels in Hindi: वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर जैव विविधता


Biodiversity at Global, National, and Local Levels in Hindi: वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर जैव विविधता

परिचय

जैव विविधता (Biodiversity) किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले सभी प्रकार के जीवों, पौधों, सूक्ष्मजीवों और पारिस्थितिक तंत्रों की विविधता को संदर्भित करती है। यह पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने और सतत विकास को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैव विविधता को तीन प्रमुख स्तरों पर अध्ययन किया जाता है: वैश्विक (Global), राष्ट्रीय (National), और स्थानीय (Local) स्तर।

1. वैश्विक स्तर पर जैव विविधता (Global Biodiversity)

वैश्विक स्तर पर जैव विविधता संपूर्ण पृथ्वी पर पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जीवों और पारिस्थितिकी तंत्रों को दर्शाती है। यह विविधता मुख्य रूप से निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होती है:

  1. जैव विविधता हॉटस्पॉट (Biodiversity Hotspots): पृथ्वी पर 36 जैव विविधता हॉटस्पॉट हैं, जिनमें भारत के पश्चिमी घाट, हिमालय और सुंदरलैंड शामिल हैं।
  2. वनस्पति और जीवों की विविधता: पृथ्वी पर 8.7 मिलियन से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से कई अब तक अज्ञात हैं।
  3. पारिस्थितिक सेवाएँ: वैश्विक जैव विविधता जलवायु नियंत्रण, कार्बन संतुलन, और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करती है।
  4. संरक्षण प्रयास: संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी (CBD) और IUCN जैसी संस्थाएँ कार्य कर रही हैं।

2. राष्ट्रीय स्तर पर जैव विविधता (National Biodiversity)

भारत जैव विविधता से समृद्ध देशों में से एक है और इसे मेगा-डाइवर्स कंट्री के रूप में जाना जाता है। भारत में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र और जलवायु प्रकार जैव विविधता को प्रभावित करते हैं।

  1. राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA): भारत सरकार द्वारा जैव विविधता संरक्षण और सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया।
  2. जैवमंडल रिजर्व (Biosphere Reserves): भारत में 18 जैवमंडल रिजर्व हैं, जैसे नीलगिरि, सुंदरबन, और नंदा देवी।
  3. राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य: भारत में 100 से अधिक राष्ट्रीय उद्यान और 500 से अधिक वन्यजीव अभयारण्य हैं।
  4. संरक्षण कानून: भारत में जैव विविधता संरक्षण के लिए भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 लागू किए गए हैं।

3. स्थानीय स्तर पर जैव विविधता (Local Biodiversity)

स्थानीय स्तर पर जैव विविधता किसी विशिष्ट क्षेत्र, गाँव, शहर या वन क्षेत्र की जैव विविधता को दर्शाती है।

  1. स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र: तालाब, झीलें, कृषि क्षेत्र, वनों और घास के मैदानों में विशिष्ट जैव विविधता पाई जाती है।
  2. स्थानिक प्रजातियाँ (Endemic Species): कुछ प्रजातियाँ केवल एक विशिष्ट क्षेत्र में पाई जाती हैं, जैसे पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले विशिष्ट उभयचर।
  3. स्थानीय समुदायों की भूमिका: जैव विविधता संरक्षण में स्थानीय समुदायों और आदिवासी समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  4. स्थानीय स्तर पर संरक्षण प्रयास: कृषि जैव विविधता, पारंपरिक ज्ञान और औषधीय पौधों को संरक्षित करने के लिए प्रयास किए जाते हैं।

निष्कर्ष

वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तरों पर जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और सतत विकास के लिए आवश्यक है। इसके संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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