RSA एल्गोरिदम क्या है? - RSA Algorithm in Hindi
RSA एल्गोरिदम क्या है? - RSA Algorithm in Hindi
परिचय
RSA एल्गोरिदम (Rivest-Shamir-Adleman) एक लोकप्रिय असिमेट्रिक एन्क्रिप्शन एल्गोरिदम है, जिसे 1978 में **Ron Rivest, Adi Shamir और Leonard Adleman** ने विकसित किया था। यह पब्लिक की क्रिप्टोग्राफी पर आधारित है और आधुनिक **साइबर सुरक्षा, डिजिटल सिग्नेचर, और सुरक्षित संचार** में उपयोग किया जाता है।
RSA एल्गोरिदम कैसे काम करता है?
RSA एल्गोरिदम **पब्लिक की और प्राइवेट की** की एक जोड़ी का उपयोग करके डेटा को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट करता है।
RSA की प्रक्रिया:
- कुंजी निर्माण (Key Generation): दो बड़े **प्राइम नंबर** का चयन करके पब्लिक और प्राइवेट की उत्पन्न की जाती है।
- एन्क्रिप्शन (Encryption): प्रेषक डेटा को **पब्लिक की** का उपयोग करके एन्क्रिप्ट करता है।
- डिक्रिप्शन (Decryption): रिसीवर **प्राइवेट की** का उपयोग करके डेटा को डिक्रिप्ट करता है।
RSA एल्गोरिदम के चरण (Steps of RSA Algorithm)
1. दो प्राइम नंबरों का चयन (Select Two Prime Numbers)
RSA एल्गोरिदम में दो बड़े प्राइम नंबर **p** और **q** का चयन किया जाता है।
उदाहरण: p = 17, q = 19
2. गुणनफल n की गणना (Compute n)
इन दोनों संख्याओं का गुणनफल किया जाता है:
n = p × q = 17 × 19 = 323
3. ओइलर टोटिएंट फंक्शन (Euler’s Totient Function) ϕ(n) निकालना
ϕ(n) = (p-1) × (q-1)
ϕ(323) = (17-1) × (19-1) = 16 × 18 = 288
4. सार्वजनिक कुंजी (Public Key) का चयन
एक संख्या **e** चुनी जाती है, जो निम्नलिखित शर्तें पूरी करती है:
- 1 < e < ϕ(n)
- e और ϕ(n) परस्पर अभाज्य (Coprime) होने चाहिए।
यहाँ, e = 5 का चयन किया जाता है।
5. निजी कुंजी (Private Key) की गणना
प्राइवेट की (d) को निम्नलिखित समीकरण से निकाला जाता है:
(d × e) mod ϕ(n) = 1
मतलब (d × 5) mod 288 = 1
यहाँ, d = 173
6. सार्वजनिक और निजी कुंजी
- **पब्लिक की (e, n) = (5, 323)**
- **प्राइवेट की (d, n) = (173, 323)**
RSA में एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन
एन्क्रिप्शन (Encryption)
मैसेज **M** को **Ciphertext (C)** में बदलने के लिए:
C = M^e mod n
मान लीजिए, M = 9
तो, C = 9^5 mod 323 = 243 mod 323 = 243
डिक्रिप्शन (Decryption)
संदेश को पुनः प्राप्त करने के लिए:
M = C^d mod n
तो, M = 243^173 mod 323 = 9 (मूल मैसेज)
RSA एल्गोरिदम के लाभ
- उच्च सुरक्षा: बड़े प्राइम नंबरों के कारण ब्रूट फोर्स अटैक असंभव होता है।
- सार्वजनिक कुंजी साझा करना आसान: कुंजी एक्सचेंज की समस्या नहीं होती।
- डिजिटल हस्ताक्षर: संदेश की सत्यता और अखंडता की पुष्टि के लिए उपयोगी।
RSA एल्गोरिदम की सीमाएँ
- धीमी गति: सिमेट्रिक एन्क्रिप्शन (AES) की तुलना में अधिक गणना की आवश्यकता होती है।
- कुंजी लंबाई: बड़ी कुंजी लंबाई का उपयोग करने से संसाधनों की खपत बढ़ती है।
RSA बनाम सिमेट्रिक एन्क्रिप्शन
विशेषता | RSA (असिमेट्रिक) | सिमेट्रिक एन्क्रिप्शन |
---|---|---|
कुंजी का उपयोग | अलग-अलग पब्लिक और प्राइवेट की | एक ही कुंजी |
गति | धीमा | तेज़ |
सुरक्षा | अधिक सुरक्षित | कम सुरक्षित |
कुंजी वितरण | कुंजी साझा करने की समस्या नहीं | कुंजी साझा करना आवश्यक |
RSA एल्गोरिदम के अनुप्रयोग
- **सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन:** HTTPS, SSL/TLS में उपयोग।
- **डिजिटल सिग्नेचर:** ईमेल और सॉफ्टवेयर प्रमाणन।
- **ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी:** वॉलेट सुरक्षा और एन्क्रिप्शन।
- **VPN और नेटवर्क सिक्योरिटी:** नेटवर्क संचार को सुरक्षित करना।
निष्कर्ष
RSA एल्गोरिदम आज के डिजिटल युग में **सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली असिमेट्रिक एन्क्रिप्शन तकनीक** है। इसकी उच्च सुरक्षा और **डिजिटल हस्ताक्षर, प्रमाणन, और सुरक्षित संचार** में महत्वपूर्ण भूमिका है। हालांकि, इसके धीमे होने के कारण, इसे आमतौर पर **हाइब्रिड एन्क्रिप्शन** में उपयोग किया जाता है, जहाँ डेटा एन्क्रिप्शन के लिए सिमेट्रिक एल्गोरिदम और कुंजी विनिमय के लिए RSA का उपयोग किया जाता है।
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