प्रोपेगेशन मॉडल क्या है? | Propagation Model in Wireless Communication in Hindi
प्रोपेगेशन मॉडल क्या है? | What is Propagation Model in Wireless Communication?
**प्रोपेगेशन मॉडल (Propagation Model)** वह गणितीय मॉडल होता है जो **रेडियो वेव्स** के संचार माध्यम (Communication Medium) में प्रसार (Propagation) को दर्शाता है। यह वायरलेस संचार में सिग्नल के व्यवहार को समझने और उसकी गुणवत्ता का अनुमान लगाने के लिए उपयोग किया जाता है।
प्रोपेगेशन मॉडल की आवश्यकता (Need for Propagation Model)
वायरलेस कम्युनिकेशन सिस्टम में सिग्नल विभिन्न प्रकार के बाधाओं जैसे कि इमारतें, पेड़, वातावरण, और अन्य इंटरफेरेंस से प्रभावित होता है। प्रोपेगेशन मॉडल इन कारकों को ध्यान में रखकर सिग्नल की रेंज, स्ट्रेंथ और लॉस की गणना करने में मदद करता है।
प्रोपेगेशन मॉडल के प्रकार (Types of Propagation Models)
प्रोपेगेशन मॉडल को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है:
1. फ्री-स्पेस प्रोपेगेशन मॉडल (Free Space Propagation Model)
यह मॉडल आदर्श परिस्थितियों में **लाइन-ऑफ़-साइट (LOS)** संचार को दर्शाता है, जहां कोई अवरोध नहीं होता।
- सिग्नल सीधे ट्रांसमीटर से रिसीवर तक पहुंचता है।
- इसमें फ्री-स्पेस पाथ लॉस (FSPL) फॉर्मूला लागू होता है:
FSPL = (4πd/λ)²
- जहां **d** = दूरी
- **λ** = तरंगदैर्ध्य (Wavelength)
2. एम्पिरिकल प्रोपेगेशन मॉडल (Empirical Propagation Model)
यह मॉडल **वास्तविक वातावरण** के आधार पर विकसित किया जाता है और प्रयोगों से प्राप्त डेटा पर निर्भर करता है।
- ओकुमुरा मॉडल (Okumura Model): शहरी क्षेत्रों में मोबाइल संचार के लिए उपयोग होता है।
- हाटा मॉडल (Hata Model): ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए अधिक उन्नत मॉडल।
3. डिटर्मिनिस्टिक प्रोपेगेशन मॉडल (Deterministic Propagation Model)
यह मॉडल **रे ट्रेसिंग (Ray Tracing)** तकनीकों का उपयोग करके सटीक गणना करता है कि कैसे रेडियो तरंगें विभिन्न सतहों से परावर्तित, अपवर्तित और प्रकीर्णित होती हैं।
- राय ट्रेसिंग मॉडल (Ray Tracing Model): 3D एनवायरनमेंट में सटीक नेटवर्क डिजाइनिंग के लिए उपयोग किया जाता है।
प्रोपेगेशन मॉडल को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Propagation Model)
- दूरी (Distance): अधिक दूरी पर सिग्नल कमजोर हो जाता है।
- फ्रीक्वेंसी (Frequency): उच्च फ्रीक्वेंसी वाली वेव्स कम दूरी तक ही प्रसारित होती हैं।
- परावर्तन (Reflection): जब सिग्नल किसी सतह से टकराकर लौटता है।
- अपवर्तन (Refraction): जब सिग्नल माध्यम बदलने पर दिशा बदलता है।
- विक्षेपण (Diffraction): जब सिग्नल किसी अवरोध के किनारे से मुड़ जाता है।
प्रोपेगेशन मॉडल का महत्व (Importance of Propagation Model)
वायरलेस संचार में प्रोपेगेशन मॉडल निम्नलिखित कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
- मोबाइल टावर की स्थिति और कवरेज क्षेत्र का पूर्वानुमान लगाने के लिए।
- सिग्नल लॉस को कम करने के लिए नेटवर्क डिजाइनिंग में।
- रेडियो वेव्स की शक्ति और प्रसार की दिशा का विश्लेषण करने के लिए।
- 5G और अन्य आधुनिक वायरलेस नेटवर्क के लिए प्रभावी संचार की योजना बनाने में।
निष्कर्ष (Conclusion)
प्रोपेगेशन मॉडल वायरलेस कम्युनिकेशन सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो यह निर्धारित करता है कि सिग्नल किस प्रकार और किस दूरी तक प्रसारित होगा। विभिन्न मॉडल जैसे **फ्री-स्पेस, एम्पिरिकल और डिटर्मिनिस्टिक** नेटवर्क डिजाइनिंग और परफॉर्मेंस ऑप्टिमाइजेशन में मदद करते हैं।
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