फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन क्या है? | Function Oriented Design in Hindi


फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन क्या है? (What is Function Oriented Design in Hindi)

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन (Function Oriented Design) सॉफ़्टवेयर डिज़ाइन की एक विधि है, जिसमें सॉफ़्टवेयर को विभिन्न फ़ंक्शनों (Functions) और प्रक्रियाओं (Procedures) के आधार पर डिज़ाइन किया जाता है। यह डिज़ाइन पद्धति डेटा के बजाय कार्यों (Operations) पर केंद्रित होती है।

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन की परिभाषा (Definition of Function Oriented Design)

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन एक डिज़ाइन दृष्टिकोण है, जिसमें **सॉफ़्टवेयर को विभिन्न कार्यात्मक घटकों (Functional Components) में विभाजित किया जाता है**, जिनमें प्रत्येक फ़ंक्शन एक विशिष्ट कार्य (Task) को निष्पादित करता है।

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन के घटक (Components of Function Oriented Design)

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन निम्नलिखित घटकों पर आधारित होता है:

घटक विवरण
1. प्रक्रियाएँ (Procedures) फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन में प्रक्रियाएँ मुख्य घटक होती हैं, जो डेटा को प्रोसेस करने के लिए उपयोग की जाती हैं।
2. डेटा फ्लो (Data Flow) डेटा कैसे प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रवाहित होता है, इसका प्रबंधन किया जाता है।
3. मॉड्यूल्स (Modules) सॉफ़्टवेयर को छोटे, स्वतंत्र और पुन: उपयोग योग्य मॉड्यूल्स में विभाजित किया जाता है।
4. इंटरफ़ेस (Interfaces) विभिन्न मॉड्यूल्स और कार्यों के बीच डेटा संचार को परिभाषित करता है।

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन के चरण (Phases of Function Oriented Design)

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में की जाती है:

  1. सिस्टम आवश्यकताओं का विश्लेषण (System Requirement Analysis): सॉफ़्टवेयर की सभी आवश्यकताओं को एकत्र किया जाता है।
  2. डेटा फ्लो डायग्राम (DFD) बनाना: डेटा प्रवाह को समझने और डिज़ाइन करने के लिए DFD का उपयोग किया जाता है।
  3. फंक्शनल डीकम्पोज़िशन (Functional Decomposition): सॉफ़्टवेयर को छोटे फ़ंक्शनों और मॉड्यूल्स में विभाजित किया जाता है।
  4. मॉड्यूल डिज़ाइन (Module Design): प्रत्येक फ़ंक्शन या मॉड्यूल को विस्तार से डिज़ाइन किया जाता है।
  5. इंटरफेस डिज़ाइन (Interface Design): मॉड्यूल्स के बीच डेटा का आदान-प्रदान सुनिश्चित करने के लिए इंटरफेस डिज़ाइन किया जाता है।

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन के लाभ (Advantages of Function Oriented Design)

  • सॉफ़्टवेयर को छोटे-छोटे **कार्यात्मक भागों (Functional Parts)** में विभाजित किया जाता है।
  • डेटा फ्लो को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाता है।
  • सिस्टम को बनाए रखना और अपडेट करना आसान होता है।
  • कार्य करने का अनुक्रम (Sequence of Operations) स्पष्ट होता है।

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन की सीमाएँ (Limitations of Function Oriented Design)

  • डेटा और प्रक्रियाओं के बीच कमजोर संबंध होता है।
  • संभावित **डेटा सुरक्षा (Data Security)** समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • बड़े और जटिल सॉफ़्टवेयर सिस्टम के लिए यह डिज़ाइन प्रभावी नहीं हो सकता।

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन बनाम ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डिज़ाइन (Function Oriented Design vs Object Oriented Design)

विशेषता फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डिज़ाइन
फोकस फंक्शंस और प्रक्रियाओं पर आधारित ऑब्जेक्ट्स और डेटा पर आधारित
डेटा संरचना डेटा स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होता है डेटा को ऑब्जेक्ट्स के अंदर सुरक्षित रखा जाता है
पुन: उपयोग (Reusability) सीमित पुन: उपयोग अधिक पुन: उपयोग योग्य
उदाहरण सी प्रोग्रामिंग में प्रक्रियाएँ और फ़ंक्शंस जावा, सी++ में क्लास और ऑब्जेक्ट्स

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन के उपयोग (Applications of Function Oriented Design)

  • छोटे और मध्यम आकार के सॉफ़्टवेयर सिस्टम के विकास में।
  • पारंपरिक प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे C और Pascal में विकसित सिस्टम में।
  • वेब एप्लिकेशन और डेस्कटॉप एप्लिकेशन में जिनमें डेटा प्रवाह प्रमुख होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

फंक्शन ओरिएंटेड डिज़ाइन सॉफ़्टवेयर डिज़ाइन की एक पारंपरिक विधि है, जो सॉफ़्टवेयर को **विभिन्न कार्यात्मक मॉड्यूल्स में विभाजित करके विकसित** करने में मदद करती है। हालाँकि, यह विधि डेटा सुरक्षा और स्केलेबिलिटी के मामले में कुछ सीमाओं के कारण, आधुनिक ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डिज़ाइन (OOD) की तुलना में कम उपयोग की जाती है।

Related Post