Ad Hoc Network Routing vs Traditional IP Routing in Hindi - एड हॉक नेटवर्क रूटिंग बनाम पारंपरिक IP रूटिंग


एड हॉक नेटवर्क रूटिंग बनाम पारंपरिक IP रूटिंग (Ad Hoc Network Routing vs Traditional IP Routing)

नेटवर्किंग में डेटा पैकेट को स्रोत (Source) से गंतव्य (Destination) तक पहुँचाने की प्रक्रिया को रूटिंग (Routing) कहा जाता है। रूटिंग दो प्रकार की हो सकती है:

  • एड हॉक नेटवर्क रूटिंग (Ad Hoc Network Routing)
  • पारंपरिक IP रूटिंग (Traditional IP Routing)

1. एड हॉक नेटवर्क रूटिंग (Ad Hoc Network Routing)

एड हॉक नेटवर्क में कोई स्थायी बुनियादी संरचना (Infrastructure) नहीं होती, और सभी डिवाइस आपस में डायरेक्ट कनेक्शन के माध्यम से संचार करते हैं। इसमें रूटिंग डायनामिक (Dynamic) होती है और नेटवर्क में उपस्थित मोबाइल डिवाइसेस के अनुसार बदलती रहती है।

एड हॉक नेटवर्क रूटिंग की विशेषताएँ:

  • किसी बेस स्टेशन या राउटर की आवश्यकता नहीं होती।
  • नेटवर्क डायनामिक होता है और लगातार बदलता रहता है।
  • नोड्स (Nodes) एक-दूसरे से डायरेक्टली या मल्टी-हॉप (Multi-hop) के माध्यम से जुड़े होते हैं।
  • रूटिंग प्रोटोकॉल अस्थायी (On-Demand) होते हैं।

एड हॉक नेटवर्क रूटिंग के प्रकार:

प्रकार विवरण
प्रोएक्टिव रूटिंग (Proactive Routing) यह पहले से रूटिंग टेबल बनाकर रखता है। उदाहरण: OLSR (Optimized Link State Routing), DSDV (Destination-Sequenced Distance Vector)
रिएक्टिव रूटिंग (Reactive Routing) रूट तभी खोजा जाता है जब आवश्यकता होती है। उदाहरण: AODV (Ad-hoc On-Demand Distance Vector), DSR (Dynamic Source Routing)
हाइब्रिड रूटिंग (Hybrid Routing) प्रोएक्टिव और रिएक्टिव दोनों को मिलाकर उपयोग करता है। उदाहरण: Zone Routing Protocol (ZRP)

2. पारंपरिक IP रूटिंग (Traditional IP Routing)

पारंपरिक IP रूटिंग एक स्थायी नेटवर्क संरचना (Infrastructure) पर आधारित होती है, जिसमें डेटा पैकेट को भेजने के लिए राउटर और स्विच का उपयोग किया जाता है। इसमें प्रत्येक नेटवर्क डिवाइस को एक स्थिर IP एड्रेस दिया जाता है और डेटा पूर्वनिर्धारित रूटिंग टेबल के अनुसार आगे बढ़ता है।

पारंपरिक IP रूटिंग की विशेषताएँ:

  • नेटवर्क स्थिर और संरचित होता है।
  • राउटर डेटा को गंतव्य तक पहुँचाने का कार्य करता है।
  • रूटिंग टेबल्स स्थायी होती हैं और कम परिवर्तनशील होती हैं।
  • डेटा ट्रांसमिशन अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित होता है।

पारंपरिक IP रूटिंग प्रोटोकॉल:

प्रोटोकॉल विवरण
RIP (Routing Information Protocol) डिस्टेंस-वेक्टर (Distance Vector) रूटिंग का उपयोग करता है।
OSPF (Open Shortest Path First) लिंक-स्टेट (Link-State) रूटिंग पर आधारित प्रोटोकॉल है।
BGP (Border Gateway Protocol) इंटरनेट पर बड़े नेटवर्क के लिए उपयोग किया जाता है।

एड हॉक नेटवर्क रूटिंग बनाम पारंपरिक IP रूटिंग

विशेषता एड हॉक नेटवर्क रूटिंग पारंपरिक IP रूटिंग
नेटवर्क संरचना कोई स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर आवश्यक
रूटिंग टेबल डायनामिक और बदलती रहती है स्थायी और स्थिर
डेटा ट्रांसमिशन पीयर-टू-पीयर और मल्टी-हॉप राउटर और गेटवे द्वारा नियंत्रित
रूटिंग प्रोटोकॉल DSDV, AODV, DSR RIP, OSPF, BGP
उपयोग आपातकालीन संचार, सैन्य, IoT कॉर्पोरेट नेटवर्क, इंटरनेट
लचीलापन अत्यधिक लचीला कम लचीला

निष्कर्ष

एड हॉक नेटवर्क रूटिंग डायनामिक, लचीला और मोबाइल नेटवर्क के लिए उपयुक्त है, जबकि पारंपरिक IP रूटिंग स्थिर, सुरक्षित और इंटरनेट व कॉर्पोरेट नेटवर्क के लिए उपयुक्त है। दोनों के अपने-अपने लाभ और सीमाएँ हैं, और इनका उपयोग आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता है।

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