Utility Computing | यूटिलिटी कंप्यूटिंग


यूटिलिटी कंप्यूटिंग (Utility Computing in Hindi)

परिचय

यूटिलिटी कंप्यूटिंग एक ऐसा कंप्यूटिंग मॉडल है जिसमें कंप्यूटिंग संसाधनों — जैसे प्रोसेसिंग पावर, स्टोरेज, नेटवर्क और सॉफ्टवेयर — को उपयोगकर्ता को एक सेवा के रूप में प्रदान किया जाता है, ठीक उसी तरह जैसे बिजली, पानी या गैस जैसी सार्वजनिक उपयोग सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।

इसका मुख्य उद्देश्य है कि उपयोगकर्ता केवल उसी संसाधन के लिए भुगतान करें जिसे उन्होंने वास्तव में उपयोग किया है। इसे “Pay-as-you-use” या “Pay-per-use” मॉडल भी कहा जाता है। यूटिलिटी कंप्यूटिंग क्लाउड कंप्यूटिंग के विकास का प्रारंभिक चरण माना जाता है।

यूटिलिटी कंप्यूटिंग की अवधारणा (Concept of Utility Computing)

इस मॉडल में सेवा प्रदाता (Service Provider) बड़े डेटा सेंटर्स में कंप्यूटिंग संसाधन बनाए रखता है और ग्राहकों को मांग के अनुसार उन्हें एक्सेस करने देता है।

  • यह मॉडल आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को ऑन-डिमांड सेवा में बदल देता है।
  • संगठन अपने सर्वर या सॉफ्टवेयर खरीदने के बजाय उन्हें रेंट पर लेते हैं।
  • संसाधन स्केलेबल होते हैं और आवश्यकता अनुसार स्वतः आवंटित किए जाते हैं।

यूटिलिटी कंप्यूटिंग की प्रमुख विशेषताएँ (Key Features)

  • On-demand Resource Allocation: उपयोगकर्ता को आवश्यकता अनुसार संसाधन प्रदान करना।
  • Pay-per-use Billing: केवल उपयोग किए गए संसाधन के लिए भुगतान।
  • Virtualization: एक ही हार्डवेयर पर कई उपयोगकर्ताओं को वर्चुअल एक्सेस।
  • Scalability: आवश्यकतानुसार संसाधनों का स्वतः विस्तार।
  • Service Automation: संसाधनों का प्रबंधन और वितरण ऑटोमैटिक रूप से।
  • Multi-tenancy: कई उपयोगकर्ता एक ही इंफ्रास्ट्रक्चर साझा करते हैं।

यूटिलिटी कंप्यूटिंग का कार्य (How Utility Computing Works)

यूटिलिटी कंप्यूटिंग का संचालन निम्नलिखित प्रक्रिया पर आधारित है:

  1. सेवा प्रदाता एक केंद्रीकृत डेटा सेंटर स्थापित करता है।
  2. वर्चुअलाइजेशन के माध्यम से संसाधन साझा किए जाते हैं।
  3. उपयोगकर्ता वेब पोर्टल या API के माध्यम से इन संसाधनों तक पहुंचते हैं।
  4. बिलिंग सिस्टम उपयोग डेटा को ट्रैक करता है और उपयोगकर्ता को बिल प्रदान करता है।

यूटिलिटी कंप्यूटिंग की आर्किटेक्चर (Architecture)

  • Service Provider Layer: संसाधनों और सर्वर का नियंत्रण।
  • Resource Management Layer: ऑटोमेशन, मॉनिटरिंग, और स्केलिंग।
  • Virtualization Layer: हार्डवेयर को वर्चुअल सर्वर में बदलना।
  • Billing Layer: उपयोग मापन और लागत गणना।
  • User Interface Layer: ग्राहकों को सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना।

यूटिलिटी कंप्यूटिंग के लाभ (Advantages)

  • लागत में भारी कमी (CapEx से OpEx मॉडल)।
  • बेहतर संसाधन उपयोग।
  • ऑटो स्केलेबिलिटी।
  • कोई हार्डवेयर मेंटेनेंस नहीं।
  • वैश्विक पहुंच और ऑन-डिमांड सेवा।

सीमाएँ (Limitations)

  • सुरक्षा जोखिम (डेटा साझा वातावरण में)।
  • नेटवर्क निर्भरता।
  • वेंडर लॉक-इन की संभावना।
  • अनुकूलन की सीमाएँ।

वास्तविक उदाहरण (Examples)

  • Amazon Web Services (AWS): Elastic Compute Cloud (EC2) यूटिलिटी मॉडल पर आधारित है।
  • Microsoft Azure: उपयोग के अनुसार बिलिंग प्रणाली।
  • Google Cloud: ऑन-डिमांड संसाधन उपलब्ध कराता है।

यूटिलिटी कंप्यूटिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग में अंतर

पैरामीटरयूटिलिटी कंप्यूटिंगक्लाउड कंप्यूटिंग
उद्देश्यसंसाधन को उपयोग के अनुसार उपलब्ध करानासर्विस मॉडल (IaaS, PaaS, SaaS) के रूप में प्रदान करना
आधारPay-per-use अवधारणावर्चुअलाइजेशन और नेटवर्किंग
नियंत्रणसीमित उपयोगकर्ता नियंत्रणअधिक नियंत्रण और ऑटोमेशन
उदाहरणAWS EC2, IBM Utility ServiceAzure, Google Cloud

निष्कर्ष

यूटिलिटी कंप्यूटिंग ने आईटी उद्योग को सेवा आधारित मॉडल की दिशा में आगे बढ़ाया है। यह अवधारणा आज के क्लाउड कंप्यूटिंग की नींव है। इसके माध्यम से आईटी संसाधनों का उपयोग अब किसी भी भौतिक सीमा के बिना संभव हो गया है।

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