साइबर अपराध में प्रयुक्त उपकरण और विधियाँ | Tools and Methods Used in Cybercrime in Hindi


साइबर अपराध में प्रयुक्त उपकरण और विधियाँ

साइबर अपराधी (Cyber Criminals) आधुनिक तकनीकों और विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके साइबर अपराधों को अंजाम देते हैं। वे कंप्यूटर, नेटवर्क और इंटरनेट की कमजोरियों का लाभ उठाकर व्यक्तिगत, संस्थागत और सरकारी डेटा चुराते हैं या इसे नुकसान पहुँचाते हैं।

1. साइबर अपराधों में प्रयुक्त प्रमुख उपकरण

साइबर अपराधी अपने हमलों को अंजाम देने के लिए कई प्रकार के सॉफ़्टवेयर, हार्डवेयर और नेटवर्क टूल्स का उपयोग करते हैं।

उपकरण विवरण
की-लॉगर (Keylogger) यह सॉफ़्टवेयर उपयोगकर्ता की कीबोर्ड गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है, जिससे पासवर्ड और संवेदनशील डेटा चोरी किए जा सकते हैं।
ट्रोजन हॉर्स (Trojan Horse) एक दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर जो उपयोगकर्ता के कंप्यूटर में छिपकर कार्य करता है और डेटा चोरी करता है।
मैलवेयर (Malware) वायरस, वर्म, स्पाइवेयर और एडवेयर जैसे दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर जो कंप्यूटर सिस्टम को संक्रमित करते हैं।
डीडीओएस टूल्स (DDoS Tools) वेबसाइट्स और सर्वरों को क्रैश करने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण: LOIC (Low Orbit Ion Cannon), HOIC (High Orbit Ion Cannon)
एनमैप (Nmap) नेटवर्क स्कैनिंग और सुरक्षा परीक्षण के लिए उपयोग किया जाने वाला टूल।
मेटास्प्लोइट (Metasploit) हैकर्स द्वारा सिस्टम में कमजोरियों की पहचान और शोषण (Exploitation) करने के लिए उपयोग किया जाता है।
डार्क वेब और टोर (Dark Web & TOR) गोपनीयता बनाए रखने और अवैध गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता है।

2. साइबर अपराधों को अंजाम देने की विधियाँ

साइबर अपराधी अपने लक्ष्य को प्रभावित करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं। नीचे कुछ प्रमुख विधियाँ दी गई हैं:

फिशिंग (Phishing)

यह एक लोकप्रिय साइबर अपराध तकनीक है जिसमें उपयोगकर्ताओं को नकली वेबसाइट्स या ईमेल के माध्यम से धोखा देकर उनकी संवेदनशील जानकारी (जैसे बैंकिंग डिटेल्स, पासवर्ड) चुराई जाती है।

रैनसमवेयर अटैक (Ransomware Attack)

इस तकनीक में अपराधी उपयोगकर्ता के डेटा को एन्क्रिप्ट कर देते हैं और उसे पुनः एक्सेस करने के लिए फिरौती की मांग करते हैं।

साइबर स्टॉकिंग (Cyber Stalking)

यह एक ऑनलाइन अपराध है जिसमें अपराधी किसी व्यक्ति को बार-बार ईमेल, सोशल मीडिया या अन्य डिजिटल माध्यमों से परेशान करता है।

स्पूफिंग (Spoofing)

इस तकनीक में अपराधी नकली वेबसाइट्स, ईमेल पते या आईपी एड्रेस का उपयोग करके किसी विश्वसनीय स्रोत की तरह दिखने की कोशिश करते हैं।

मैन-इन-द-मिडल अटैक (MITM Attack)

इस तकनीक में अपराधी दो पक्षों के बीच संचार को बाधित करके डेटा चुराते हैं। यह हमला सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क पर आमतौर पर देखा जाता है।

डीडीओएस (DDoS) अटैक

डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) अटैक में अपराधी किसी वेबसाइट या सर्वर पर अधिक मात्रा में ट्रैफिक भेजकर उसे निष्क्रिय कर देते हैं।

ब्रूट फोर्स अटैक (Brute Force Attack)

इस तकनीक में अपराधी किसी अकाउंट के पासवर्ड को क्रैक करने के लिए विभिन्न संभावित संयोजनों का उपयोग करते हैं।

सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering)

इस तकनीक में अपराधी मनोवैज्ञानिक रूप से उपयोगकर्ता को धोखा देकर उससे गोपनीय जानकारी प्राप्त करते हैं।

साइबर अपराधों से बचने के उपाय

  • मजबूत पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) का उपयोग करें।
  • फिशिंग ईमेल और संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें।
  • साइबर सुरक्षा सॉफ़्टवेयर और एंटीवायरस का उपयोग करें।
  • सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क पर संवेदनशील जानकारी साझा न करें।
  • डेटा एन्क्रिप्शन और सुरक्षित ब्राउज़िंग तकनीकों का उपयोग करें।

निष्कर्ष

साइबर अपराधी आधुनिक उपकरणों और विधियों का उपयोग करके साइबर हमले करते हैं। हमें इन खतरों के प्रति सतर्क रहना चाहिए और साइबर सुरक्षा उपाय अपनाकर अपनी डिजिटल संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

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