Static Interconnection Networks in Hindi - स्टैटिक इंटरकनेक्शन नेटवर्क्स | Advanced Computer Architecture Notes


Static Interconnection Networks क्या हैं?

Static Interconnection Networks वे नेटवर्क होते हैं जिनमें प्रोसेसर और मेमोरी मॉड्यूल्स के बीच फिक्स्ड कनेक्शन होता है। इन्हें डायरेक्ट नेटवर्क भी कहा जाता है क्योंकि इनमें नेटवर्क टोपोलॉजी पहले से ही निर्धारित होती है और रन-टाइम पर इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जाता।

Static Interconnection Networks के प्रकार:

Static Interconnection Networks को विभिन्न टोपोलॉजी में विभाजित किया जाता है।

प्रकार विवरण
Mesh Network (मेश नेटवर्क) प्रोसेसर ग्रिड के रूप में जुड़े होते हैं, और प्रत्येक नोड केवल अपने पड़ोसी नोड्स के साथ संचार करता है।
Linear Array (रेखा सरणी) प्रोसेसर एक सीधी लाइन में जुड़े होते हैं, जिसमें हर प्रोसेसर केवल दो पड़ोसी प्रोसेसर से संचार करता है।
Ring Network (रिंग नेटवर्क) प्रोसेसर एक रिंग के रूप में जुड़े होते हैं, जहां प्रत्येक नोड केवल अपने अगले और पिछले नोड से संचार करता है।
Tree Network (ट्री नेटवर्क) इसमें प्रोसेसर को हायरार्किकल रूप से व्यवस्थित किया जाता है, जहाँ डेटा जड़ (Root) से विभिन्न स्तरों तक प्रसारित होता है।
Hypercube Network (हाइपरक्यूब नेटवर्क) इसमें प्रोसेसर को n-डायमेंशनल क्यूब के रूप में व्यवस्थित किया जाता है, जहाँ प्रत्येक नोड 2^n नोड्स से जुड़ा होता है।

Static Interconnection Networks की विशेषताएँ:

  • प्रत्येक प्रोसेसर का एक निश्चित, स्थिर कनेक्शन होता है।
  • रूटिंग एल्गोरिदम सरल और निश्चित होते हैं।
  • नेटवर्क में टोपोलॉजी परिवर्तन संभव नहीं होता।
  • लागत प्रभावी होते हैं क्योंकि कोई अतिरिक्त रूटिंग हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं होती।

Static और Dynamic Interconnection Networks में अंतर:

विशेषता Static Interconnection Network Dynamic Interconnection Network
संरचना स्थायी (Fixed) कनेक्शन समय के साथ बदलने वाले कनेक्शन
रूटिंग स्थिर और पूर्वनिर्धारित डायनामिक रूप से चुनी जाती है
उदाहरण Mesh, Ring, Tree, Hypercube Crossbar, Multistage Networks
लागत कम लागत उच्च लागत
उपयोग Multiprocessor Systems, Grid Computing High-Speed Networking, Supercomputers

Static Interconnection Networks के लाभ:

  • सरल डिजाइन और पूर्वानुमेय निष्पादन।
  • रूटिंग ओवरहेड कम होता है।
  • कम बिजली खपत और हार्डवेयर लागत।

Static Interconnection Networks के नुकसान:

  • लचीलापन (Flexibility) की कमी।
  • बड़े नेटवर्क में संचार की देरी (Communication Latency) अधिक हो सकती है।
  • लॉन्ग-डिस्टेंस कनेक्शन के कारण कुछ टोपोलॉजी में ट्रैफिक की समस्या।

निष्कर्ष:

Static Interconnection Networks समानांतर कंप्यूटिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे सरल, कुशल और पूर्वनिर्धारित कनेक्शन प्रदान करते हैं, जो सुपरकंप्यूटिंग और क्लस्टर कंप्यूटिंग में उपयोगी होते हैं। हालांकि, इनकी स्थिरता कभी-कभी लचीलापन (Flexibility) को सीमित कर सकती है।

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